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इस देश के करीब जाने का अंजाम खान से पूछ लें शरीफ- Biden छोड़ेंगे नहीं!

Shahbaz Sharif accepting the invitation of the opponents of America

America-Pakistan Relations: अमेरिका के खिलाफ जाने का हरजाना पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान भुगत चुके हैं। जब वो सत्ता में थे तो उस दौरान अमेरिका के खिलाफ जमकर बयानबाजी करते रहे यही उनके बेदखली का कराण भी बना। अब ऐसा लगता है कि, प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ भी उन्हीं के रास्तों पर चलने लगे हैं। इमरान खान जब मॉस्को अपने दौरे पर गए थे तो उसी दिन 24 फरवरी को रूस ने यूक्रेन पर हमला बोला था, जिसपर खान ने कहा भी था कि मैं कितने सही समय पर आया हूं। उनके इस दौरे से अमेरिका (America-Pakistan Relations) इतना खफा हुआ कि, यह तक कह दिया कि जो भी रूस का साथ देगा वो उसे बरबाद कर देगा। जो पाकिस्तान की ओर इशारा था। अब शाहबाज शरीफ भी ना ना करते अमेरिका से बगावत कर बैठे हैं। क्योंकि, वो अपनी समरकंद यात्रा के दौरान रूस और चीन के साथ जो प्रेम दिखा कर आये हैं वो अमेरिका (America-Pakistan Relations) संग संबंधों पर असर डाल सकता है।

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अमेरिका के सबसे बड़े प्रतिद्वंदी देशों की यात्रा पर जाएंगे शाहबाज शरीफ
समरकंद यात्रा के दौरान पाकिस्तानी PM शाहबाज शरीफ राष्ट्रपति व्लादीमीर पुतिन का आमंत्रण स्वीकार करना अमेरिका को खुली चेतावनी देने के बाराबर है। इसके साथ ही अमेरिका के सबसे बड़े प्रतिद्वंदी चीन की भी यात्रा पर शरीफ जाएंगे। रूस से पहले वो चीन यात्रा नवंबर में जाएंगे। पाकिस्तानी पर्यवेक्षकों के मुताबिक शहबाज शरीफ के इस फैसले से यह धारणा टूटेगी कि पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के सत्ता से हटने के बाद पाकिस्तान अमेरिका के विरोधी देशों से दूरी बनाएगा। इससे अमेरिका के साथ पाकिस्तान के संबंधों का फिर से मजबूत करने की चल रही प्रक्रिया पर भी सवाल उठेंगे।

कंगाली से निकालने में जिस अमेरिका ने की मदद उसी से दगाबाजी
अमेरिका जिस पाकिस्तान को कंगाली से निकालने की कोशिश कर रहा है उसी के साथ शाहबाज दगाबाजी करते नजर आ रहे हैं। क्योंकि, हाल ही में अेमरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन के एक विशेष सलाहकार ने पाकिस्तान की यात्रा की थी। दूसरी ओर अमेरिका ने पाकिस्तान के एफ-16 लड़ाकू विमानों के लिए 45 करोड़ डॉलर की कीमत के पुर्जों की बिक्री का एलान किया। साथ ही IMF से कर्ज की नई किस्त मुहैया कराने में अमेरिका का ही हाथ रहा। अब ऐसे में शरीफ की रूस और चीन से बढ़ती नजदीकियां आने वाले समय में पाकिस्तान को फिर से मुसीबत में डाल सकती है।

शरीफ को रूस को महाशक्ति बताने की चुकानी पड़ सकती है कीमत
पाकिस्तान पीएम शहबाज शरीफ शंघाई सहयोग संगठन के शिखर सम्मेलन में भाग लेने समरकंद गए थे। जहां उनकी पुतिन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से द्विपक्षीय वार्ता हुई। शहबाज शरीफ से अपनी मुलाकात के बाद शी जिनपिंग ने उन्हें व्यावहारिक और कुशल व्यक्ति बताया। चीन से तो पाकिस्तान का याराना पुराना है यो इसपर तो अमेरिका भी नहीं बोलता। लेकिन, रूस से नई दोस्ती कर पाकिस्तान क्या कहना चहता है? क्योंकि, पुतिन से मिलने के बाद शरीफ उनकी तारीफ करते नहीं थक रहे थे। वो उन्हें ऐसा व्यक्ति बताते हैं, जो अपने वादों को पूरा करता है। शरीफ रूस को ‘महाशक्ति’ कह कर संबोधित करते हैं।

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पाकिस्तान का रूसी प्यार कहीं अमेरिका से दूर न कर दे
शहबाज शरीफ से मुलाकात के बाद पुतिन ने पाकिस्तान को दक्षिण एशिया और कुल मिला कर पूरे एशिया में अपना प्रायोरिटी पार्टनर बताया। उन्होंने कहा दोनों देशों के रिश्ते सकारात्मक ढंग से विकसित हो रहे हैं और इसकी हमें खुशी है। पुतिन के साथ बैठक के दौरान पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ भी मौजूद थे। बाद में एक ट्विट में उन्होंने कहा कि पुतिन के साथ प्रधानमंत्री शरीफ की बातचीत बेहद कामयाब रही। उधर चीन राष्ट्रपति शी से मुलाकात के बाद शरीफ BRI और ग्लोबल डेवलपमेंट इनिशिएटिव की तारीफ करते नहीं थकते। वो चीन और पाकिस्तान के टिकाऊ रिश्तों की चर्चा करते हुए इन्हें नई ऊंचाईयों तक ले जाने का संकल्प लेते हैं। अब ये अमेरिका को जरा भी बर्दाश्त नहीं होगा। ये बात हम नहीं बल्कि कई पाकिस्तानी विशेषज्ञ भी कह रहे हैं कि, जिस समय अमेरिका की प्राथमिकता खास कर रूस और पुतिन को दुनिया में अलग-थलग करने की है, पाकिस्तान का उसे इतना महत्व देना बगावती तेवह दरशा रहा है। इससे आने वाले दिनों में अमेरिका-पाकिस्तान संग संबंधों में एक बार फिर से तनाव पैदा हो सकता है।