चीन से ऋण लेने के बाद से लगातार श्रीलंका कर्ज के दबाव में डूबता गया जिसके चलते श्रीलंका के हालात काफी खराब हो गए है। चीन ने श्रीलंका पर रणनीतिक बढ़त हासिल करने के लिए अपनी कुटिल 'डेट ट्रैप डिप्लोमेसी' का इस्तेमाल किया है। जिससे उसकी हालात लगातार बिड़ती जा रही है। एक तरफ जनता प्रदर्शन कर रही है तो वहीं दूसरी तरफ चीन अपनी नई चाल से श्रीलंका को दबाने का प्रयास कर रहा है। चीन ने देश पर अपनी रणनीतिक बढ़त बढ़ाने के लिए और अपनी अर्थव्यवस्था को बंधक बनाने के लिए अपनी कुटिल 'ऋण जाल कूटनीति' को बनाया है। जिसके चलते श्रीलंका के हंबनटोटा और कोलंबो के बंदरगाह शहरों को 100 वर्षो के लिए चीन को पट्टे पर दे दिया गया है। साथ ही चीन अब श्रीलंका का दूसरा सबसे बड़ा ऋणदाता बन गया है।
श्रीलंका जाएगी इंडियन आर्मी?
इसी बीच एक खबर सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है कि भारत अपने दोस्त श्रीलंका को उसके सबसे बुरे दौर में सहायता के लिए सेना की मदद भेज रहा है। जिससे सेना श्रीलंका में हो रहे प्रदर्शन पर काबू पा सके। सोशल मीडिया पर चल रही खबरों को लेकर भारतीय उच्चायोग ने एक बयान जारी किया है। जिसमें उन्होंने श्रीलंका में सेना भेजने संबंधी खबरों का खंडन किया है। भारतीय उच्चायोग ने कहा है कि इस तरह की खबरें और विचार भारत सरकार के स्टैंड के मुताबिक सही नहीं हैं। भारतीय उच्चायोग की ओर से ट्वीट कर श्रीलंका के हालात को लेकर विदेश मंत्रालय की ओर से जारी बयान का भी जिक्र किया गया है। जिसमें भारतीय उच्चायोग की ने कहा है कि भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने साफ कहा है कि हम श्रीलंका के लोगों के साथ खड़े हैं। श्रीलंका के लोग लोकतांत्रिक साधनों और मूल्यों, स्थापित संस्थानों और संवैधानिक ढांचे के जरिये समृद्धि और प्रगति से जुड़ी अपनी आकांक्षाओं को साकार करना चाहते हैं।
विदेश मंत्रालय ने क्या कहा?
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा है कि भारत-श्रीलंका के घटनाक्रम पर नज़र बनाए हुए रखा है। भारत, श्रीलंका की जनता के साथ है। भारत श्रीलंका को हर संभव मदद देने के लिए तत्पर है। अरिंदम बागची ने कहा कि ‘‘भारत श्रीलंका का सबसे करीबी पड़ोसी है और हमारे दोनों देश गहरे सभ्यतागत बंधन साझा करते हैं। हम उन कई चुनौतियों से अवगत हैं जिनका श्रीलंका और उसके लोग सामना कर रहे हैं, भारत श्रीलंका के लोगों के साथ खड़े हैं।