चीन पर किसी देश से दोस्ती करता है तो उसका एक हाथ मित्रता के लिए बढ़ाता और दूसरे हाथ में चाकू होता है। क्योंकि, चीन बिना किसी वजह के किसी देश से दोस्ती नहीं करता और मौका मिलते ही उसकी पीठ में चूरा घोंप देता है। चीन को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि वो छोटा देश है या बड़ा दे। या फिर उस देश के नागरिकों पर क्या फर्क पड़ेगा। यही हाल चीन ने श्रीलंका में किया है। श्रीलंका को अपनी कर्ज में जाल में चीन ने ऐसे फंसाया की आज मुल्क पूरी तरह से तबाह हो चुका है। आजादी के बाद से इतिहास में पहली बार श्रीलंका की अर्थव्यवस्था इतनी बिगड़ी है। श्रीलंका की इस वक्त सबसे ज्यादा कोई मदद कर रहा है तो वो है भारत। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस वक्त कभी चावल भेजकर तो कभी डीजल, दवा भेजकर श्रीलंका की मदद कर रहे हैं। इसके साथ ही आर्थिक रूप और कई और तरिकों से भारत मदद कर रहा है। जिसे देखते हुए श्रीलंका ने आभार जताया है।
श्रीलंका के पूर्व प्रधानमंत्री रनिल विक्रमसिंघे ने भारत का आभार जताया है। उन्होंने कहा है कि भारत ने सबसे ज्यादा हमारी मदद की है। उन्होंने कहा है कि सरकार चीन के साथ चर्चा कर रही है। भारत सरकार ने हाल ही में मु्श्किल दौर से गुजर रहे श्रीलंका को ईंधन की खेप भेजी थी। इसके अलावा अप्रैल में कई और खेप भेजा जाना बाकी है। मुल्क के हालात इतने बदतर होते जा रहे हैं कि नागरिक बुनियादी चीजें जुटाने की कोशिश में जान दांव पर लगा रहे हैं।
समाचार एजेंसी एएनआई से बातचीत में पूर्व प्रधानमंत्री विक्रमसिंघे ने राजधानी कोलंबो से भारत के लिए संदेश जारी किया। उन्होंने कहा, मुझे लगता है कि भारत ने हमारी सबसे ज्यादा मदद की है। हमें यह देखना होगा कि वे गैर-आर्थिक तरीकों से भी हमारी मदद कर रहे हैं। इसलिए हम उनके आभारी हैं। इसके साथ ही उन्होंन यह भी बताया कि, सरकार ने चीन से निवेश की मांग की थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। उन्होंने कहा, इस सरकार के तहत कोई भी बड़ा चीनी निवेश नहीं हुआ है। उन्होंने निवेश को लेकर मांग की थी, लेकिन निवेश नहीं आया… मुझे लगता है कि कर्ज चुकाने को लेकर रीशेड्यूलिंग पर चर्चाएं जारी हैं। उन्होंने चीनी सरकार से बात की है, मुझे इतना ही पता है।
एजेंसी के अनुसार, भारत अब तक श्रीलंका को 2 लाख 70 हजार मीट्रिक टन ईंधन भेज चुका है। इसके अलावा भारत ने श्रीलंका के लिए क्रेडिट लाइन में विस्तार किया है। बता दें कि, श्रीलंका में इस वक्त भारी आर्थिक संकट है। यहां ईंधन, गैस खाना और दवाएं खरीदने के लिए लंबी कतारें लगी हुई हैं। ईंधन की कमी के चलते घंटों बिजली गुल रहती है। जिसे देखते हुए भारत सरकार लगातार मदद कर रही है।