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Sri Lanka के लिए काल बना 9 नंबर, मई के बाद से अब तक सिर्फ मुसीबत ही आई है- हर इस दिन हुई बड़ी घटनाएं

Sri Lanka के लिए काल बना 9 नंबर

आजादी के बाद श्रीलंका के इतिहास में इतनी भारी आर्थिक तबाही देखने को नहीं मिली थी। इस वक्त देश की स्थिति यह है कि, यहां पर हर एक जरूरी सामान की भारी किल्लत है और इसकी के चलते जनता एक बार फिर से सड़कों पर है। कुल मिलाकर देखें तो इस वक्त लंका जल रही है। श्रीलंका में ये आग लगाने वाला कोई और नहीं बल्कि, चीन हैं। राजपक्षे परिवार और चीन की मिलीभगत ने आज मुल्क को ऐसे जगह पर लाकर खड़ा कर दिया हैं जहां आगे और पीछे दिनों ओर गहरी खाई हैं। 2.2 करोड़ आबादी वाले इस देश पेट्रेल-डीजल, दवाओँ से लेकर हर एक चीज की भारी कमी है। इस देश के लिए 9 नंबर काल बना है। इसका उधाहरण यह है कि पिछले भी 9 तारिख को देश जला था और इस यानी बिते कल 9 जुलाई को भी देश जल रहा है।

पिछले तीन महीने से लगातार नौ तारीख को ही इस देश में तमाम बड़े राजनेताओं का इस्तीफा हुआ है। सबसे पहले नौ मई को तत्कालीन श्रीलंकाई प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे ने अपने ऑफिस से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद नौ जून को बासिल राजपक्षे ने इस्तीफा दिया। बासिल श्रीलंका के वित्तमंत्री थे। वहीं बिते कल यानी नौ जुलाई को प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे समेत कई इस्तीफे हुए हैं।

श्रीलंका में संकट बढ़ने के बाद पहला सबसे बड़ा राजनीतिक परिवर्तन 9 मई को हुआ था। इस दिन तत्कालीन प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे ने अपने ऑफिस से इस्तीफा दे दिया था। एक महीने बीतते-बीतते वित्तमंत्री बासिल राजपक्षे को भी अपने पद से हाथ धोना पड़ा। इसके बाद नौ जुलाई को तो सारी सीमाएं ही टूट गईं। नौ जुलाई को श्रीलंकाई राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे को अपना आवास छोड़कर भागना पड़ा। भारी मात्रा में प्रदर्शनकारी उनके आवास पर पहुंचे और कब्जा कर लिए। राष्ट्रपति आवास के अंदर से कई तस्वीरें सामने आई जिसमें लोग स्वीमिंग पूल में नहाते नजर आए और घर को तहस नहस करते दिखे। इसी दिन शाम होते-होते श्रीलंकाई प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने भी इस्तीफा दे दिया।

लेकिन नौ तारीख का श्राप अभी श्रीलंका के लिए और मुसीबत लाने वाला था। कल इस्तीफों का सिलसिला जो शुरू हुआ वह थमा ही नहीं। प्रधानमंत्री विक्रमसिंघे के बाद श्रीलंका के कैबिनेट मंत्रियों का इस्तीफा शुरू हो गया। मंत्री बंदुला गुणवर्धना ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद राष्ट्रपति के मीडिया प्रमुख (राष्ट्रपति मीडिया के महानिदेशक) सुदेवा हेत्तियाराची ने भी अपना इस्तीफा दे दिया। यहां तक कि 9 जुलाई को शाम होते-होते प्रधानमंत्री विक्रम रानिलसिंघे के नीजि घर तक को जला दिया गया।