चीन के कर्ज के जाल में फंसे श्रीलंका में सिविल वॉर जैसी स्थिति है गई है। राष्ट्रपति भवन पर आम लोगों की भीड़ ने कब्जा कर लिया। श्रीलंका की संसद ने बड़ा फैसला लिया है कि गोटाबाया राजपक्षे 13 जुलाई को इस्तीफा दे देंगे और फिर कार्यवाहक सर्वदलीय सरकार बनेगी जो देश को स्थिरता की दिशा में काम करेंगे। इसी बीच भारत की ओर से विदेश मंत्रालय ने बयान दिया है कि श्रीलंका वर्तमान स्थिति से उबरने की कोशिश कर रहा है। हम उनकी गतिविधियों पर निगाह रख रहे हैं। भारत श्रीलंका की जनता के साथ खड़ा है। श्रीलंका की जनता को इस संकट में हर संभव मदद की जाएगी। हालांकि सच्चाई यह भी है चीन श्रीलंका के भीतर तक इतना हावी हो चुका है कि वहां अराजकता फैलाने में चीन का ही हाथ समझा जा रहा है।
एस जयशंकर का बड़ा बयान
भारत ने मौजूदा हाला में श्रीलंका को फिर से सहायता देने का आश्वासन दिया है। श्रीलंका के महासंकट के बीच भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि आर्थिक तंगी को लेकर युद्ध की कगार पर खड़े देश श्रीलंका का दोस्त रहा भारत आज फिर उसके साथ खड़ा है। विदेश मंत्री जयशंकर ने तिरुवनंतपुरम हवाई अड्डे पर मीडिया से कहा कि हम श्रीलंका का समर्थन करते रहे हैं और आगे भी हम मदद करते रहेंगे। हाल ही में मदद करने की कोशिश कर रहे हैं। भारत ने भीषण आर्थिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका को कुछ समय पहले ऋण सुविधा के तहत 44,000 टन से अधिक यूरिया मुहैया कराया है।
श्रीलंका में महंगाई चरम पर
श्रीलंका में महंगाई चरम पर आ गई है जिससे आम जरूरत की चीजों के दाम में में बेतहाशा वृद्धि हो गई है। जिसके बाद जनता का गुस्सा इस कदर बड़ गया कि, कई दिनों से लोग सड़कों पर उतर कर सरकार के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं। वहीं शनिवार को आंदोनलकारियों ने राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे का आवास पर कब्जा कर लिया और प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे के सरकारी आवास में आग लगा दी, जिसके बाद प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने इस्तीफा दिया, और विदेश मंत्री ने भी इस्तीफा दे दिया है. तो इधर, श्रीलंका के चीफ डिफेंस स्टाफ शावेंद्र सिल्वा की ओर से प्रदर्शनकारियों से अपील की जा रही है कि, शांति बनाए रखने के लिए जवानों का सहयोग करें।