अफगानिस्तान में तालिबान ने कब्जा कर अपनी सरकार तो बना ली है लेकिन, इनके पास कुछ बचा ही नहीं है। तालिबान सरकार के पास पैसे के लाले पड़े हैं। अमेरिका सहीत जो देश अफगानिस्तान में मानवीय सहायता के लिए एक मोटी रकम भेजते थे वो भेजना बंद कर दिए हैं जिसके बाद अफगानिस्तान की हालत खस्ता है। तालिबानियों को आने के बाद से मुल्क में मानवीय संकट का खतरा गहराता चला जा रहा है। अब तो तालिबान यूनाइटेड नेशन को भी आंख दिखाने लगा है और इतना ही नहीं, उसने यह भी कहा कि, उसके आंतरिक मामलों में कोई दखल ना दे।
तालिबान के सुप्रीम लीडर हेबतुल्ला अखुंदजादा ने बुधवार को कहा है कि अफगानिस्तान की धरती को किसी भी देश पर हमले के लिए इस्तेमाल नहीं होने दिया जाएगा। अपने संदेश में तालिबान चीफ ने यह भी कहा कि कोई भी देश अफगानिस्तान के आंतरिक मामलों में दखल न दे। दरअसल, यूएन की रिपोर्ट में दावा किया गया था कि अफागनिस्तान की धरती पर हजारों विदेशी लड़ाके रहते हैं। इसमें अल-कायदा और पाकिस्तान के लश्कर और जैश के आतंकी भी हैं।
यूनाइटेड नेशन की इस रिपोर्ट पर अखुंदजादा ने कहा कि, वह अफगानिस्तान की धरती का इस्तेमाल किसी देश के खिलाफ नहीं होने देंगे। "मैं अपने पड़ोसियों, क्षेत्र और दुनिया को भरोसा दिलाता हूं कि यहां से किसी देश की सुरक्षा को खतरा नहीं होगा। हमने दुसरे देशों से भी कहा है कि वे हमारे आंतरिक मामलों में दखल न दें।"
इसके आगे अखुंदजादा ने कहा कि, हम पूरी दुनिया के साथ अच्छे रणनीतिक, राजनीतिक और आर्थिक संबंध चाहते हैं। इसमें अमेरिका भी शामिल है। हमें लगता है कि इसमें सभी पक्षों का हित छिपा है। बता दें कि पिछले महीने भारत ने भी अफगानिस्तान में अपनी डिप्लोमैटिक उपस्थिति दर्ज करवाई है। वहीं, तालिबान ने भारत से वादा किया था कि लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। हालांकि अब तक तालिबान ने किसी आतंकी संगठन पर कोई कार्रवाई नहीं की है।