अफगानिस्तान में तालिबान की वापसी के बाद से देश की हालत बेहद ही खराब है। बुखमरी इस कदर बढ़ गई है कि लोग अब दूसरे देशों में पलायन करने पर मजबूर हो गए हैं। ना नौकरी है और ना ही कोई काम और ऊपर से तालिबान का जुर्म अलग से आम जनता को मार रही है। इसके साथ ही अफगानिस्तान में महिलाओँ का हाल बेहद खराब है। महिलाओं को वहां खुद सांस लेने की भी इजाजत नहीं है। इसके साथ ही तालिबान चुनाव निकायों और दो मंत्रालयों को बंद करते हुए कहा है कि इनकी अफगानिस्तान में जरूरत नहीं है।
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तालिबान अब धीरे-धीरे अपने असली रंग में आने लगा है। दुनिया के सामने फरेबा का मुखौटा पहने तालिबान ने पहले तो खुद को साफ-सुथरा और पूरी तरह से बदल जाने का दिखावा किया लेकिन अब तालिबान धीरे-धीरे सांप की तरह बिल से बाहर निकल कर जहर उगल रहा है। महिलाओं की जिंदगी तो अफगानिस्तान में तालिबान ने बद्दतर कर रखी है। इसका अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि तालिबान ने महिलाओं को लेकर अब एक और बैन लगा दिया है। अफगानिस्तान के तालिबान अधिकारियों ने रविवार को कहा कि कम दूरी को छोड़कर लंबी दूरी की यात्रा करने वाली महिलाओं को अकेले यात्रा की इजाजत नहीं दी जाएगी। महिलाओं के साथ किसी करीबी पुरुष रिश्तेदार के होने पर ही उन्हें लंबी दूरी तक यात्रा करने की इजाजत दी जाएगी।
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वहीं, अफगानिस्तान में तालिबान सरकार ने संसदीय मामलों के मंत्रालय, शांति मामलों के मंत्रालय, स्वतंत्र चुनाव आयोग और स्वतंत्र चुनाव शिकायत आयोग सहित कुछ मंत्रालयों और चुनावी निकायों को खत्म करने का फैसला किया है। तालिबान के प्रवक्ता ने कहा है कि अफगानिस्तान में इनकी जरूरत नहीं है। वहीं, समाचार एजेंसी एएनआई ने खासा प्रेस का हवाला देते हुए बताया है कि स्वतंत्र मानवाधिकार आयोग एक नए नाम के तहत अपना काम फिर से शुरू करेगा। तालिबान ने सभी मंत्रालयों और आयोगों के कर्मचारियों के वेतन भुगतान और उनकी स्थिति को स्पष्ट करने का आदेश दिया है।