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डोभाल के अफगानिस्तान प्लान ने चीन-पाकिस्तान को 440 वोल्ट का झटका- खुश हुआ तालिबान, बोला- हमें भारत से ही उम्मीद

डोभाल के अफगानिस्तान प्लान ने चीन-पाकिस्तान को दिया 440 वोल्ट का झटका

भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल आज दिल्ली में अफगानिस्तान के घटनाक्रम पर बैठक जो प्लान बताया है उससे चीन और पाकिस्तान को करारा झटका लगा है। क्योंकि, तालिबान का कहना है कि वो इससे काफी खुश है और भारत से उसे बड़ी उम्मीदें हैं। और डोभाल की चाल से घबराकर पाकिस्तान ने भी क्षेत्रीय देशों के साथ बैठक आयोजित करने का फैसला किया है। इधर तालिबान का कहना कि भारत की बैठक से वो खुश है और वो इसे एक सकारात्मक विकास के तौर पर देखता है।

तालिबान ने उम्मीद जताई है कि नई दिल्ली में हुई बैठक से क्षेत्र में शांति और स्थिरता लाने में मदद मिलेगी। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजित डोभाल की अध्यक्षता में भारत ने बुधवार को सात अन्य देशो के साथ वार्ता की। इस बैठक में ईरान, रूस, कजाखस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उज्बेकिस्तान के एनएसए शामिल हुए थे । भारत ने इस बैठक के लिए चीन और पाकिस्तान को भी न्योता भेजा था लेकिन दोनों देशों ने मीटिंग में आने से इनकार कर दिया। तालिबान के प्रवक्ता ने अपने एक बयान में कहा कि, तालिबान ऐसी किसी भी पहला का समर्थन करता है जिससे उनके देश में शांति और स्थिरता लाने में सहयोग मिले, नागरिकों के लिए रोजगार के अवसर बने और देश से गरीबी हटाने में सहयोग हो।

शाहीन ने कहा कि, अगर उन्होंने (आठ देशों के एनएसए) ने कहा है कि वे अफगानिस्तान के लोगों के लिए देश के पुनर्निमाण, शांति और स्थिरता के लिए काम करेंगे तो यही हमारा उद्देश्य है। अफगानिस्तान की जनता शांति और स्थिरता चाहती है क्योंकि पिछले कुछ सालों में उन्होंने बहुत कुछ झेला है। इसके आगे शाहीन ने कहा है कि, हम देश में आर्थिक परियोजनाओं को पूरा करना चाहते हैं और नए प्रॉजेक्ट शुरू करना चाहते हैं। हमारे लोगों के लिए नौकरी भी चाहते हैं। इसलिए एनएसए स्तर की बैठक में जो कहा गया, हम उससे सहमत हैं।

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भारत ने इस बैठक के लिए पाकिस्तान और चीन को भी न्योता भेजा था लेकिन दोनों देशों ने इसमें शामिल होने से मना कर दिया। पाकिस्तान के बैठक में शामिल न होने पर शाहीन ने कहा है कि, यह किसी देश पर निर्भर करता है कि वह अपना रुख तय करे। आप इस बारे में उनसे पूछ सकते हैं। जहां तक अफगानिस्तान की सरकार और जनता का सवाल है, हम शांति और स्थिरता के साथ आर्थिक गतिविधियों को दोबारा शुरू करना चाहते हैं।