जब अफगानिस्तान में तालिबान तेजी से कब्जा कर रहा था तो दुनिया को समझ ही नहीं आया की इतनी भारी मात्रा में उसके पास हथियार कहा से आया। बाद में पता चला कि ये तो पाकिस्तान और चीन थे जिन्होंने तालिबान की जमकर मदद की। इसका अंदाजा इसी से लगा कि तालिबान के लिए पाकिस्तान ने तो अपना पूरा जी-जान लगा दिया। पाकिस्तान को जब भी मौका मिला तब-तब पूरी दुनिया के सामने तालिबान सरकार को स्वीकार करने की भीख मांगा। पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान जमकर तालिबान की तारीफ किए। लेकिन, तालिबान को भी नहीं पता था कि जो पाकिस्तान उसके साथ खड़ा है वही उसके पीठ में खंजर घोंप रहा है। डूरंड लाइन पर बाड लगा रहा है। अफगानिस्तान से जुड़ी पाकिस्तान की सीमाओं को पाकिस्तान बाड़ लगाकर तालिबान को धोखा दे रहा था। ये बात इतना आगे पहुंच गई कि दो दोस्त एक दूसरे के खून के प्यासे बन बैठे। यही पाकिस्तान तालिबान के जरिए अफगानिस्तान की जमीन का इस्तेमाल भारत के खिलाफ करना चाहता था। लेकिन, अब तो तालिबान खुद चलकर भारत के पास आया है।
दरअसल, तालिबान लगातार भारत के साथ अपने संबंध अच्छे करने में लगा है। कब्जा के बाद से ही वो कह रहा है कि, भारत से बेहतर संबंध चाहता है। अब अफगानिस्तान तालिबान के कार्यवाहक विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी ने कहा है कि तालिबान अफगानिस्तान में भारतीय दूतावास और वाणिज्य दूतावास की सुरक्षा पर विशेष ध्यान देगा।
د بهرنیو چارو وزارت سرپرست امیر خان متقي د هند له نیوز ۱۸ ټلوېزیون سره په خبرو کې ویلي، اسلامي امارت به په افغانستان کې د هند سفارت او کونسګریو امنیت ساتلو ته ځانګړې پاملرنه وکړي.#طلوعنیوز pic.twitter.com/SDieEEX85x
— TOLOnews (@TOLOnews) May 31, 2022
विशेषज्ञों का मानना है कि भारत को तालिबान से बातचीत शुरू करने की कोशिश करनी चाहिए और हाल के दिनों में तालिबान और भारत के बीच पर्दे के पीछे कई स्तर पर बातचीत हुई है। तालिबान भारत जैसे देश को अफगानिस्तान से बाहर नहीं रखना चाहता है और यही कारण है कि तालिबान ने लगातार ऐसे संकेत दिए हैं कि वह भारत से बेहतर संबंध चाहता है।