तालिबान (Taliban) में महिलाओं पर अत्याचार कब जाकर थमेगा? यह बेहद अहम और तालिबानियों के लिए बेहद मुश्किल सवाल है। जिसका जवाब अक्सर देने से तालिबानी कट्टरपंथी घबराते हैं। इस्लाम इस्लाम और इस्लाम का नारा लगाने वाले इन कट्टरपंथियों ने इस्लाम की धज्जीयां उड़ा कर रख दी है। इस्लाम की सीख को पुरे विश्व में इस तरह दिखाया गया है के गैर मुसलमान ना चाहते हुए भी अब इस धर्म से नफरत करेंगे। अफगानिस्तान में जब तालिबान सरकार की वापसी हुई तो वहां के लोगों में ये डर सताने लगा कि उसके आते ही क्रूर कानूनों की भी वापसी होगी और हुआ भी वही।
तालिबान (Taliban) ने शुरूआत में आते ही जमकर आतंक मचाया। एक ओर वो दुनिया के सामने ये कहता रहता कि वो पहले जैसा नहीं है बदल चुका है। तो वहीं, दूसरी ओर सोशल मीडिया पर कई सारे वीडियो सामने आए जिन होने तालिबान के अत्याचारों की पोल खोली। तालिबान महिलाओं को लेकर 20 साल पहले भी सख्त था और अब भी। अफगानिस्तान की सत्ता में आने से पहले उसने वादा किया था कि वो महिलाओं के अधिकार को नहीं छीनेगा। लेकिन, ऐसा नहीं हुआ। महिलाओं को बुर्का पहनना अनिवार्य कर दिया गया, घर से बाहर पुरुष के साथ ही निकल सकती है, सरकारी कार्यलयों में काम सीमीत कर दिया। यहां तक कि अब अफगानिस्तान में लड़कियां सिर्फ कक्षा 7 तक ही पढ़ सकती हैं। इसके आगे उन्हें इजाजत नहीं है।
अब इस बीच खबर आ रही है की महिलाओं पर अब पार्क में जाने पर भी पाबंदी लगा दी गई है। महिलाओं का पहले ही इन कट्टरपंथियों ने सांस लेना मुश्किल कर रखा है। अब एक के बाद एक नई पाबंदी…।बंद-ए-अमीर पार्क में अफगानिस्तान में एक बड़ा टूरिस्ट अट्रैक्शन है। 2009 में इसे देश का पहला नेशनल पार्क घोषित किया गया था। आमतौर पर लोग अपने परिवार के साथ यहां आकर एंजॉय करते थे। अब परिवार साथ होता था तो कुछ मामलों में महिलाएं हिजाब, नकाब और अबाया नहीं पहन रही थीं। इससे नाराज तालिबान ने पार्क में उनकी एंट्री ही बैन कर दी। इस तालिबानी फैसले के बाद पार्क में परिवारों का आना कम हो जाएगा। स्थानीय लोगों का कहना है कि अब इस पार्क में लोग कम ही आएंगे। आमतौर पर वे शाम के समय में परिवार के साथ आया करते थे।
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जब से अफ़ग़ानिस्तान में तालिबानी (Taliban) शासन आया है तब से तो बस यही लगता है पता नहीं कब कट्टरपंथी तालिबानी नया फरमान जारी कर देंगे और वहां की महिलाओं का जीना दुश्वार कर देंगे। इस्लाम की छवि, इस्लाम की सीख को बर्बाद करने वाला यह एक अकेला देश है। जिसने इस्लाम से हट कर सारे क़ानून बनाये और फिर इस्लाम का नाम दे कर इस्लाम को बदनाम किया है। इस्लाम हमें अमन शांति से रहना सिखाता है। इस्लाम में महिलाओं को इज़्ज़त दी जाती है। इस्लाम में ज़ोर ज़बरदस्ती का कोई क़ानून नहीं। इस्लाम को अगर लाना है तो उसके लिए इन कट्टरपंथियों को इस्लाम को गहराई से पढ़ना होगा। नहीं तो यह अत्याचार तो कभी बंद नहीं होंगे।
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