Taliban On TTP Pakistan Army Ceasefire: पाकिस्तान ने जब आतंकियों को जन्म दिया था तो उसने कभी सोचा नहीं था कि, एक दिन यही आतंकवादी उसके लिए गले की हड्डी बन जाएंगी। यही आतंकी मुल्क को दहलाएंगे। आज आलम यह है कि, पाकिस्तान दो टूकड़ों में होता नजर आ रहा है। आतंकवादियां का कहना है कि, खैबर पख्तूनवा उन्हें चाहिए जहां पर अपनी सरकार चलाएंगे। जहां वो सरिया कानून लागू करेंगे। पाकिस्तान में अब एक बार फिर से TTP एक्टिव हो गया है। नया आर्मी चीफ असीम मुनीर के नियुक्त होते ही टीटीपी ने पाकिस्तान (Taliban On TTP Pakistan Army Ceasefire) में हमले का ऐलान कर दिया है। तहरीक-ए-तालिबान ने हमले का ऐलान आईएसआई के पूर्व चीफ लेफ्टिनेंट जनरल फैज के आर्मी चीफ नहीं बनाए जाने के बाद उनके इस्तीफे के चंद दिनों बाद ही किया है। जनरल फैज ने ही टीटीपी (Taliban On TTP Pakistan Army Ceasefire) के साथ संघर्ष विराम कराया था। टीटीपी के इस ऐलान के पीछे पाकिस्तानी विश्लेषकों का का कहना है कि, उसे अफगानिस्तान की तालिबान सरकार ने ही उकसाया है ताकि वो पाकिस्तान की विदेश मंत्री हिना रब्बानी खार पर दबाव बना सके।
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TTP ने इस वजह से किया हमले का ऐलान
पाकिस्तान में नये आर्मी चीफ की नियुक्ती और हिना रब्बानी खार की काबुल यात्रा के ठीक पहले टीटीपी ने इन हमलों का ऐलान किया। इसके साथ ही दोनों के बीच सीजफायर अब खत्म हो गया है। टीटीपी ने आरोप लगाया है कि पाकिस्तानी सेना और खुफिया एजेंसी ने उसके कमांडरों की हत्या करके समझौते का उल्लंघन किया है। इससे पहले तालीबानी गृहमंत्री सिराजुद्दीन हक्कानी की मध्यस्थता के बाद पाकिस्तान सरकार और टीटीपी के बीच संघर्ष विराम हुआ था। इसके बाद टीटीपी ने कबायली इलाकों को अलग करने मांग रख दी जिसे पाकिस्तान ने खारिज कर दिया।
कबायली इलाकों में अपना शासन चलाना चाहता है TTP
TTP इन कबायली इलाकों में अपना शासन स्थापित करना चाहता है ताकि, वो वहां पर शरिया कानून लागू कर सके और पाकिस्तान के खिलाफ हमले और तेज कर सके। पाकिस्तानी अखबार एक्सप्रेस ट्रिब्यून के मुताबिक टीटीपी के हमलों के पीछे हिना रब्बानी खार की काबुल यात्रा एक प्रमुख वजह हो सकती है। ऐसी अटकले हैं कि हक्कानी ने टीटीपी के कमांडरों को भी काबुल बुलाया था लेकिन इस समूह ने आने से मना कर दिया। सूत्रों का कहना है कि टीटीपी ने हक्कानी नेटवर्क पर भरोसा करना छोड़ दिया है। यह वही हक्कानी है जिसे पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई का सबसे करीबी माना जाता है।
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तालिबान को डर है कि कहीं पाकिस्तान फिर उसे धोखा न दे
इन सबके पीछे पाकिस्तान का ही हाथ है। दरअसल, तालिबान टीटीपी के बहाने पाकिस्तानी विदेश राज्यमंत्री पर दबान बनाना चाहता है। तालिबान को अब डर सताने लगा है कि, पाकिस्तान की सरकार कहीं अमेरिका के साथ मिलकर उसे फिर से धोखा देना शुरू न कर दे। क्योंकि, इधर बीच पाकिस्तान और अमेरिका के रिश्तों में मजबूती आ रही है। तालिबान के इस डर की वजह अलकायदा सरगना अयमान अल जवाहिरी की काबुल में अमेरिकी ड्रोन हमले में हत्या है। इसके अलावा टीटीपी जनरल मुनीर को भी संदेश देना चाहता है ताकि जनरल फैज के जाने के बाद बंद पड़ी बातचीत को फिर से शुरू किया जा सके।
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