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Djibouti Base पर कुछ बड़ा कर रहा चीन, भारत संग पूरी दुनिया के लिए बना खतरा!

Chinese Base in Djibouti

Chinese Base in Djibouti: चीन दुनिया के छोटे देशों के साथ पहले रिश्ता बनाता है और फिर इन्हें कर्ज देकर अपने जाल में ऐसे फंसाता है कि, इनके पोर्टों और एयरपोर्टों पर उसका कब्जा हो जाता है। ड्रैगन के जाल में कई देश फंस चुके हैं। श्रीलंका में जो हुए वो ड्रैगन का ही देना था। चीन का मकदस है इन देशों के बंदरगाहों और एयरपोर्टों को हड़प कर वहां पर सैन्य बेस तैयार करना। कुछ ऐसा ही देखने को मिल रहा है जिबूती (Chinese Base in Djibouti) में भी जो भारतीय नौसेना के लिए खतरा बना हुआ है। एक अमेरिकी रिपोर्ट में दावा किया गया है कि, चीन यहां एयरक्राफ्ट कैरियर, बड़े युद्धपोत और पनडुब्बियों की तैनाती करने की योजना बना रहा है। अगर चीन (Chinese Base in Djibouti) ने ऐसा किया तो भारतीय नौसेना की सुरक्षा पर इससे गहरा प्रभाव पड़ सकता है। अमेरिका पहले भी हिंद महासागर में चीन के युद्धपोत की तैनाती की आशंका जता चुका है।

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जिबूती सैन्य बेस पर एयर क्राफ्ट कैरियर से लेकर पनडुब्बियों को तैनात करना चाहता है चीन
चीन का अफ्रीकी देश जिबूती में बना सैन्य अड्डा भारत के लिए चिंता की बात हो सकती है। चीन यहां एयर क्राफ्ट कैरियर, बड़े युद्धपोत, पनडुब्बियों को तैनात करने की प्लानिंग कर रहा है। ये एक ऐसा कदम होगा जो भारतीय नौसेना की सुरक्षा पर गहरा असर डालेगा। अमेरिकी रक्षा विभाग की चीन पर वार्षिक रिपोर्ट में इस सैन्य बेस के बारे में कांग्रेस को बताया गया है। रविवार को जारी रिपोर्ट में कहा गया, मार्च 2022 के अंत में एक FUCHI II श्रेणी का आपूर्ति जहाज यहां पर रुका था, जो दिखाता है कि यह बेस अब चालू है। US ने अपने रिपोर्ट में बताया है कि, ये तट चीन की नौसेना के एयर क्राफ्ट कैरियर, लड़ाकू जहाजों और पंडुब्बियों को समायोजित करने में सक्षम है। बता दें कि, अमेरिका ने इससे पहले भी चीन की ओर से हिंद महासागर में एयर क्राफ्ट कैरियर के तैनाती की संभावना जताई है। साल 2017 में यूएस पैसिफिक कमांड की कमान संभालने वाले एडमिरल हैरी हैरिस जूनियर ने कहा था कि आज उन्हें (चीन) हिंद महासागर में अपने जहाज चलाने से रोकने के लिए कुछ भी नहीं है। तब से चीन अपने एयर क्राफ्ट कैरियर बनाता रहा है और अब उसके पास तीन विमान वाहक हैं।

अमेरिका के लिए जिबूती बन रहा टेंशन
इंडियन नेवी के पास रूस में बने दो एयरक्राफ्ट कैरियर INS विक्रमादित्य और INS विक्रांत हैं। अमेरिका ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि, PLA नेवी मरीन बख्तरबंद वाहनों और तोपखानों के साथ जिबूती बेस पर तैनात हैं। इस वक्त पास के एक वाणिज्यिक बंदरगाह का इस्तेमाल किया जा रहा है। जिबूती बेस पर तैनात चीन की सेना के ड्रोन औऱ जहाजों को उड़ाकर अमेरिकी उड़ानों में हस्तक्षेप किया है। चीन ने जिबूती के संप्रभु हवाई क्षेत्र को प्रतिबंधित ररने की मांग की है।

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चीन कर सकता है स्वेज नहर को ब्लॉक
सबसे बड़ी बात यह कि,स्वेज नहर को चीन ब्लॉक कर सकता है। जिसके दुनिया में भारी आर्थिक भूचाल आ सकता है। क्योंकि, ये वो रास्ता है जहां से दुनिया व्यापार करती है। दरअसल, अमेरिका का कहना है कि, क्षेत्र में तैनात चीन की सेना ने जमीन से लेजर के जरिए अमेरिकी विमानों के पायलटों की आंखों को लेजर से टार्गेट किया है। चीन ने 2016 में ये बेस बनाना शुरू किया था, जिसके लागत 590 मिलियन डॉलर है। ये बेस बाब अल-मन्देब जलडमरूमध्य पर स्थित है, जो दुनिया में व्यापार का एक महत्वपूर्ण चेन है। यहां से चीन हिंद महासागर तक पहुंच सकता है। स्वेज नहर के रास्ते में ये बेस है, जिसे चीन ब्लॉक कर सकता है। जिसके चलते दुनिया में भारी आर्थिक भूचाल आ सकता है।