रूस और यूक्रेन के बीच जंग के हालात पल-पल बदल रहे है। खबर है कि रूस के राष्ट्रपति व्लादीमीर पुतिन ने रूस की डिटेरेंस फोर्स को परमाणु युद्ध के लिए तैयार रहने का आदेश दे दिया है। लेकिन इस बीच राहत की बात ये है कि अमेरिका ने अभी तक ऐसा कोई कदम नहीं उठाया है। जिससे पहले से जारी वैश्विक तनाव और बढ़े इस बीच आशंका जताई जा रहा है कि जल्द ही अमेरिका भी जवाबी कार्रवाई करेगा। दरअसल, रूस और अमेरिका दोनों ही परमाणु हथियारों से लैस दुनिया की सबसे बड़ी ताकते हैं। एक अनुमान के मुताबिक, रूस और अमेरिका दोनों के ही पास 4 से 5 हजार न्यूक्लियर वॉरहेड हैं।
वॉरहेड यानि न्यूक्लियर ऐसे हथियार जिन्हें मिसाइल, एयरक्राफ्ट या न्यूक्लियर सबमरीन से फायर किया जा सकता है। दोनों ही देश न्यूक्लियर हथियार का इस्तेमाल करने के लिए मिसाइलों, फाइटर एयरक्राफ्ट और न्यूक्लियर सबमरीन से लैस हैं। रूस ने जून 2020 में पहली न्यूक्लियर हथियारों को इस्तेमाल करने की अपनी नीति को सार्वजनिक किया। अगर रूस या उसके किसी साथी पर कोई न्यूक्लियर हमला हुआ या रूस पर परंपरागत हथियारों से भी ऐसा हमला हुआ जिससे उसका आस्तित्व खतरे में आए तो भी वो न्यूक्लियर हमला करेगा।
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पुतिन के आदेश का मतलब है कि न्यूक्लियर वॉरहेड वाली लंबी दूरी की बैलेस्टिक मिसाइलों को लॉन्च करने के लिए तैयार कर दिया गया है। इस सिलसिले में न्यूक्लियर सबमरीन न्यूक्लियर वॉरहेड के साथ समुद्र में जाने के लिए तैयार हैं। फाइटर जेट्स में न्यूक्लियर वॉरहेड वाली मिसाइलें लगा दी गई हैं। रूस की न्यूक्लियर हथियारों की नीति के मुताबिक उसका न्यूक्लियर हमला अंतिम विकल्प होगा और इसका आदेश सीधे राष्ट्रपति पुतिन ही देंगे। न्यूक्लियर धमाकों को लेकर अनुमान के मुताबिक दुनिया के 4500 से ज्यादा शहरों में तबाही मचाने के लिए 13500 हथियारों की जरूरत पड़ेगी। 15000 न्यूक्लियर हथियारों में धमाके की तुलना दुनिया के सबसे पावरफुल ज्वालामुखी से की गई है। अगर 15000 न्यूक्लियर हथियारों में विस्फोट हुआ तो यह ज्वालामुखी विस्फोट से भी 15 गुना ज्यादा विनाशकारी होगा।