रूस और यूक्रेन की बीच चल रहे युद्ध के हालात को अमेरिका लगातार टालने का प्रयास कर रहा है लेकिन, इसका बाद भी हालात बेहद ही तनावपूर्व होते जा रहे हैं। दोनों देशों के हालात पर काबू पाने के लिए अमेरिका लगातार कोशिश कर रहा है और साथ ही रूस को चेतावनी भी दी है कि अगर उसने युद्ध को लेकर कोई भी कदम उठाया तो अमेरिका और उसके सहयोगी नाटो यूक्रेन की रक्षा के लिए खड़े रहेंगे और साथ ही रूस पर कई तरह के प्रतिबंध भी लगा देंगे। लेकिन इसके बाद भी रूस की लगभग 1 लाख से ज्यादा सेना यूक्रेन सीमा से पीछे हटने का नाम नहीं ले रही है। अगर इन दोनों देशों के बीच युद्ध होते हैं तो इसका असर दुनिया के कई देशों पर देखने को मिलेगा।
आगे बढ़ने से पहले बता दें कि, इस वक्त उम्मीद की एक किरण जर्मनी के चांसलर ओलाफ शोल्ज ने दिखाई है, जो सोमवार को यूक्रेन की राजधानी कीव पहुंच रहे हैं। वह तनाव को कम करने का प्रयास करने के लिए दौरे पर होंगे। इस वक्त दुनिया की कई एयरलाइन कंपनियों ने यूक्रेन के एयरस्पेस का इस्तेमाल करना बंद कर दिया है। इसके अलावा कई देशों ने अपने दूतावासों से गैर-जरूरी स्टाफ को वापस बुलाना शुरू कर दिया है। अमेरिका समेत कई देशों ने अपने नागरिकों से यूक्रेन छोड़ने को कहा है। इस बीच अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन ने चेतावनी दी कि रूस कभी भी हमला कर सकता है।
लेकिन, रूसी की ओर से इन सब बतों को झूठा करार दिया गया है। रूसी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मारिया जाखारोवा ने कहा है कि, अमेरिकी नेता झूठ बोलते थे, झूठ बोल रहे हैं और आगे भी आम नागरिकों पर दुनिया भर में हमलों के लिए झूठ बोलते रहेंगे। वहीं, जर्मन चांसलर ओलाफ ने कहा है कि, यूरोप में शांति को बड़ा खतरा पैदा हो गया है। उन्होंने कहा कि, अगर रूस की ओर से हमला किया जाता है तो फइर उसपर कड़े प्रतिबंध लगाए जाएंगे। हमने उन प्रतिबंधों की सूची तैयार कर ली है और किसी भी तरह के हमले की स्थिति में तत्काल ऐशा किया जाएगा।
वहीं, इन दोनों देशों के चलते भारत पर भी असर देखने को मिलने लगा है और सुबह ही स्टॉक मार्केट में बड़ी गिरावट देखने को मिली। बीएसई सेंसेक्स में 1,100 अंकों की गिरावट शुरुआती कारोबार में ही दर्ज की गई है। यही नहीं रुपये और धातुओं में भी गिरावट का दौर जारी है। माना जा रहा है कि यूक्रेन संकट के चलते ही बाजार में बिकवाली का दौर शुरू हुआ है। भारत के साथ ही अमेरिका, जापान समेत दुनिया के कई बड़े देशों के शेयर बाजार में यूक्रेन संकट का असर देखने को मिला है।