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ड्रैगन के खिलाफ बाइडेन का सीक्रेट मिशन! चीन पर हमला बोलेगा कई हजार ड्रोन का झुंड

अमेरिका कर रहा एक सीक्रेट टेक्‍नोलॉजी पर काम

सुपर पॉवर अमेरिका (US) और चीन की दुश्मनी आज से नहीं बल्कि बहुत पुरानी है और आज तक भी यहां दोनों देशों के बीच जमकर टकराव देखने को मिल रहे हैं। चीन इतना ज्यादा शातिर है कि वह हमेशा कई देशों के क्षेत्र में जबरन घुसने की कोशिश कर रहा हो तो वहीं अमेरिका उन देशों की सुरक्षा की जिम्मेदारी अपने हाथों में ले रखी है। जिसपर चीन बौखलाया हुआ है और उसका कहना है कि जो भी उसके काम के बीच में आएगा उसका अंजाम बुरा होगा। गौरतलब है अमेरिका दुनिया का वह देश है जो सेनाओं और मिलिट्री टेक्निक पर सबसे ज्‍यादा खर्च करता है। अमेरिका मिलिट्री ने दुनिया को बताया था कि ड्रोन क्‍या है और कैसे इसकी मदद से बस कुछ ही सेकेंड्स में दुश्‍मन का सफाया हो सकता है।

अब देश का रक्षा विभाग पेंटागन उस ड्रोन टेक्निक पर काम कर रहा है जिसके बाद एक साथ कई हजार ड्रोन दुश्‍मन पर एक साथ हमला बोलेंगे। पेंटागन इस तकनीक को चुपचाप यानी सीक्रेट तरीके से डेवलप कर रहा है। कुछ लोगों ने इस प्रोजेक्‍ट को लेकर चिंताएं जाहिर की हैं। इस प्रोजेक्‍ट को अमैस प्रोजेक्‍ट के तौर पर जाना जाएगा। पेंटागन की तरफ से जो प्रोग्राम शुरू किया गया है उसके तहत एक दो नहीं बल्कि कई हजार ड्रोन का पूरा एक झुंड दुश्‍मन को घेरेगा। ये ड्रोन हवा में, जमीन पर और पानी में भी कम करेंगे। अमैस यानी ऑटानमस मल्‍टी डोमेन एडैप्टिव स्‍वार्म्‍स ऑफ स्‍वार्म्‍स अमेरिका की डिफेंस रिसर्च एजेंसी DARPA का कई लाख डॉलर वाला प्रोजेक्‍ट है।

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मिसाइल लॉन्‍चर तक तबाह

यूक्रेन-रूस (Russo-Ukrainian War) की जंग और ताइवान की सुरक्षा में तैनात अमेरिकी ड्रोन पहले ही अपनी क्षमताओं को साबित कर चुके हैं। इस पूरे प्रोजेक्‍ट को पूरी तरह से लो प्रोफाइल रखा गया है। डी-ब्रीफ की ए‍क रिपोर्ट के मुताबिक अमैस प्रोग्राम के जरिए उस क्षमता को विकसित किया जाएगा जिसके तहत एक आदेश पर ही हजारों ड्रोन एक साथ मिलकर दुश्‍मन की एयर डिफेंस क्षमता को फेल कर सकें।

प्रोजेक्‍ट को सबसे छिपाकर रखा

डीएआरपीए के प्रवक्‍ता की तरफ से अमैस प्रोग्राम ड्रोन के झुंड को बहुत ज्‍यादा दुश्‍मनी वाले माहौल में मिलिट्री ऑपरेशंस को पूरा करने के मकसद से चलाया जा रहा है। कम कीमत वाले झुंड जिसमें कई तरह के सेंसर्स होंगे उन्‍हें फॉरवर्ड और अपने आप लॉन्‍च हो सकने वाली पोजीशन पर तैनात किया जा सकेगा। ये ड्रोन दुश्‍मन के क्षेत्र की दूरी का पता लगाकर उसका सबसे ज्‍यादा फायदा उठाने की कोशिशें करेंगे।