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गृहयुद्ध से बच गया रूस मगर अब भी मुश्किल नहीं हुई खत्म, ये है पुतिन की असली टेंशन

राष्ट्रपति पुतिन और वैगनर ग्रुप प्रमुख प्रिगोझिन

रूस (Russia) के वैगनर ग्रुप ने अपने विद्रोह से राष्ट्रपति पुतिन की सत्ता को हिला देने का काम किया है। वैगनर ग्रुप के सैनिक मॉस्को की तरफ से मार्च कर रहे थे। मगर एक नाटकीय घटनाक्रम में बेलारूस के राष्ट्रपति अलेक्जेंडर लुकाशेंको ने अचानक समझौता करा दिया। इस समझौते के कारण विद्रोह जितना तेजी से खड़ा हुआ था वह उतना ही तेजी से खत्म हो गया। समझौते के बाद वैगनर ग्रुप के चीफ येवगेनी प्रिगोझिन ने अपने सैनिकों को रुकने का आदेश दिया। भले ही यह विद्रोह खत्म हो गया हो लेकिन अभी भी बहुत कुछ अनिश्चित बना हुआ है। विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि इसके परिणाम इतनी जल्दी नहीं खत्म होने वाले।

पुतिन को अब सत्ता में आने के बाद अपनी सबसे गंभीर चुनौती से निपटना होगा। रूस में जो कुछ भी हुआ है उसे देख कर यूक्रेन जरूर खुश हुआ होगा। वैगनर के लीडर प्रिगोझिन को बेलारूस भेजा गया है, जहां के राष्ट्रपति ने उन्हें विद्रोह खत्म कराने से जुड़ी डील कराई। रूसी प्रवक्ता के मुताबिक प्रिगोझिन के खिलाफ लगे आपराधिक आरोप हटा दिए जाएंगे। वैगनर विद्रोहियों ने दावा किया था कि उन्होंने दो रूसी शहरों में कब्जा कर लिया है।

कमजोर दिख रहे पुतिन

रूसी राष्ट्रपति पुतिन को अब अपनी असली परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। CNN की रिपोर्ट के मुताबिक विशेषज्ञ मानते हैं कि रूसी राष्ट्रपति भले गतिरोध से बच गए हों लेकिन अब वह दुनिया, अपने दुश्मनों, रूसी लोगों और सेना के सामने कमजोर दिख रहे हैं। मॉस्को में रूसी राष्ट्रपति के कई दुश्मन हैं जो पुतिन के कमजोर होने का मौका देख रहे हैं। रूस में CNN के ब्यूरो चीफ जिल डौघर्टी के मुताबिक, ‘अगर मैं पुतिन होता तो मुझे उन लोगों की चिंता होती जो रोस्तोव की सड़कों पर वैगनर विद्रोहियों के समर्थन में नारे लगा रहे थे।’

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पुतिन के लिए बुरी खबर

जब वैगनर ग्रुप मॉस्को की ओर बढ़ रहा था तब रूस के दक्षिणी शहर रोस्तोव-ऑन-डॉन में भीड़ प्रिगोझिन के समर्थन में नारे लगा रही थी। प्रिगोझिन की गाड़ी रुकती है और एक व्यक्ति उनसे आकर हाथ मिलाता है। डौघर्टी पूछते हैं, ‘सड़क पर आम रूसी उन लोगों के समर्थन में नारे क्यों लगा रहे हैं जिन्होंने तख्तापलट की कोशिश की है। हो सकता है कि वे उनका समर्थन करते हैं या वे उन्हें पसंद करते हों। जो भी हो, यह पुतिन के लिए बुरी खबर है।’