Xi Jinping Warns Russia on Nuclear: चीन पर जरा भी भरोसा नहीं किया जा सकता है। वो कहता कुछ और है और करता कुछ और है। जिसके साथ वो दोस्ती करेगा उसी के साथ अंदर ही अंदर दुश्मनी की भी सोच लेता है। इसका प्रमाण रूस और यूक्रेन जंग है। दरअसल, रूस और चीन (Xi Jinping Warns Russia on Nuclear) के बीच दोस्ती है लेकिन, इस जंग में अब ड्रैगन किनारा तो काट ही रहा है साथ ही पुतिन को चेतावनी भी दे रहा है। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को परमाणु हथियारों (Xi Jinping Warns Russia on Nuclear) को लेकर सीधी चेतावनी दी है। जिनपिंग ने कहा है कि, यूक्रेन में परमाणु बम का पुतिन इस्तेमाल न करें। चीन के राष्ट्रपति ने बीजिंग की यात्रा पर आए जर्मन चांसलर ओलाफ स्चोल्ज से अपील की कि वह रूस और यूक्रेन के बीच शांति वार्ता के लिए प्रयास करें। चीन के ये बदलते सुर रूस के साथ उसके रिश्ते में कड़वाहट पैदा कर सकते हैं।
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शी जिनपिंग रूस को चेतावनी देकर दुश्मनी ले रहे हैं
शी जिनपिंग ने यह भी कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को बातचीत को फिर से शुरू करने के लिए माहौल बनाना चाहिए और हम परमाणु हथियारों के इस्तेमाल या उसकी धमकी देने का विरोध करते हैं। जर्मन चांसलर पहले पश्चिमी नेता हैं जिन्होंने शी जिनपिंग की तीसरी बार ताजपोशी के बाद चीन की यात्रा की है। चांसलर ने शी जिनपिंग से अनुरोध किया कि वह पुतिन पर हमले को बंद करने के लिए दबाव डालें जिसमें आम नागरिक मारे गए हैं और कई शहर तबाह हो गए हैं। स्चोल्ज ने मीटिंग के बाद कहा, राष्ट्रपति शी और मैं इस बात पर सहमत हैं कि परमाणु धमकी गैरजिम्मेदाराना और तनाव को भड़काने वाला है। उन्होंने कहा कि रूस अगर परमाणु बम का इस्तेमाल करता है तो यह विभिन्न देशों की ओर से मिलकर तय की गई रेखा को पार करना होगा।
अब चीन को हथियार बना रहे पश्चिमी देश
जब ये जंग शुरू हुई तो पश्चिमी देश सीधे तौर पर रूस के खिलाफ हो गये और दुनिया को धमकी देने लगे की जो भी रूस की मदद करेगा वो उसे बरबाद कर देगा। अमेरिका ने तो रूस के साथ दुनिया को व्यापारिक रिश्ता भी तोड़ने के लिए कह दिया। लेकिन, वो खुद तेल, गैस और अन्य जरूरी सामानों को खरीदता रहा। अमेरिका ने पहले भारत पर दबाव बनाया कि वो रूस के खिलाफ बोले। पश्चिमी देशों ने कई बार संयुक्त महासभा में भी भारत को रूस के खिलाफ बोलने के लिए उकसाया लेकिन काम नहीं बना। अब ये पश्चिमी देश चीन को नया हथियार बना रहे हैं। लेकिन, जंग तो उकसाने का काम यही पश्चिमी देश ही कर रहे हैं। अगर ये यूक्रेन को हथियार देना बंद कर दे और जेलेंस्की रूस की बातों को मान ले तो ये जंग तुरंत रूक जाएगी। लेकिन, अमेरिका और नाटो इस युद्ध को जारी रखना चाहता हैं। वो दुनिया के सामने सिर्फ दिखावा कर रहे हैं कि वो चाहते हैं ये जंग रूक जाए।
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चीन के बदलते सुर
वैसे तो चीन के राष्ट्रपति ने सीधे तौर पर पुतिन की आलोचना करने से परहेज किया और सेना को वापस बुलाने के लिए भी नहीं कहा, लेकिन परमाणु बम को लेकर उनका बयान रूस के राष्ट्रपति के लिए सीधी चेतावनी के तौर पर देखा जा रहा है। यूक्रेन युद्ध शुरू करने के बाद रूस और चीन ने ऐलान किया था कि दोनों के बीच मित्रवत संबंध और सहयोग अब किसी सीमा में बंधे नहीं रहेंगे। युद्ध के दौरान लगातार चीन का विदेश मंत्रालय पश्चिमी देशों पर ही निशाना साधता रहा है। यही नहीं अमेरिकी प्रतिबंधों के बाद भी चीन बड़े पैमाने पर रूस से आयात और निर्यात दोनों ही कर रहा है। अब जब यूक्रेन में रूस को काफी नुकसान उठा पड़ा है, चीन के सुर बदले हुए दिख रहे हैं।
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