अफगानिस्तान से अमेरिका के चले जाने के बाद आतंकवाद को नियत्रंण में रखने के लिए भारत की भूमिका बढ़ गई है। इस पूरे एशियाई प्रांत में भारत ही एक ऐसा देश है जो आतंक से लोहा ले सकता है और ये बात अमेरिका पता है। भारत की भागीदारी अफगानिस्तान में भी अब बढ़ने वाली है। तालिबान के आने से फिर अफगानिस्तान आतंक का अड्डा न बन जाए इसके लिए अमेरिका और भारत लगातार बात कर रहे हैं। आतंकियों पर प्रहार के लिए अमेरिका भारत की मदद ले सकता है, इसके लिए वह बेस बनाने पर भी विचार कर रहा है।
विदेश मंत्रालय का कहना है हम इन खबरों से अवगत हैं। हम तथ्यों का पता लगा रहे हैं और अधिक जानकारी प्राप्त कर रहे हैं। उधर रणनीतिक मामलों के जानकार मानते हैं कि भारत इतनी आसानी से बेस की अनुमति नहीं देगा। लेकिन बदली हुई परिस्थिति में चर्चा बहुत से विकल्पों पर होना संभव है क्योंकि आतंकवाद भारत, अमेरिका के लिए कोर मुद्दा है। भारत ने लगभग सभी अंतरराष्ट्रीय मंचों पर आतंकवाद को लेकर अपनी बात को फोकस में बनाए रखा है।
जानकारों का कहना है कि अमेरिका और रूस के शीर्ष सुरक्षा अधिकारियों का पिछले दिनों भारत दौरा साफ संकेत है कि इस इलाके की रणनीति को लेकर काफी कुछ पर्दे के पीछे चल रहा है। अफगानिस्तान की स्थिति पर भारत मे राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल सुरक्षा व खुफिया एजेंसियों के जरिए लगातार इनपुट खंगाल रहे हैं और उच्च स्तर पर नजर बनी हुई है। भारत अभी अपने हितों को खंगाल रहा है।
बता दें कि अफगानिस्तान छोड़ने के बाद अमेरिकी सरकार दूसरे देशों में ‘स्टेजिंग एरिया’ या आसान शब्दों में बेस बनाने के लिए कोशिश कर रहा है। ताकि वो सात समंदर की दूरी से भी अफगानिस्तान में आतंकियों और उनके ठिकानों पर ‘ओवर द होराइज़न’ हमले कर सके।