68 साल बाद टाटा ग्रुप के हाथ में एयर इंडिया की कमान आ गई हैं। सरकारी एयर इंडिया को टाटा ने खरीद लिया हैं। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो एयर इंडिया के लिए टाटा ग्रुप और स्पाइसजेट के अजय सिंह ने बोली लगाई थी। टाटा ने सबसे ज्यादा बोली लगाकर एयर इंडिया की कमान अपने हाथ में ले लीं। इसका ऐलान सरकारी जल्द ही कर सकती हैं। सूत्रों की मानें तो दिसंबर तक टाटा को एयर इंडिया का मालिकाना हक मिल सकता हैं।
एयर इंडिया का इतिहास
1931 में जेआरडी टाटा ने 'टाटा एयरलाइंस' की स्थापना की थी, लेकिन दूसरे विश्व युद्ध के वक्त विमान सेवाएं रोक दी दई।
युद्ध समाप्त होने के बाद 29 जुलाई 1946 को 'टाटा एयरलाइंस' का नाम बदलकर 'एयर इंडिया लिमिटेड' कर दिया गया।
1947 में एयर इंडिया की 49 फीसदी शेयर सरकार ने खरीद लिया था।
1953 को एयर इंडिया का राष्ट्रीयकरण हो गया।
अब 68 साल बाद टाटा ने फिर से एयर इंडिया को वापस पा लिया हैं।
लेकिन अब सवाल आता हैं कि सरकार को आखिर एयर इंडिया को बेचने की जरुर क्यों पड़ी?, संसद में एक सवाल पर सरकार ने बताया था कि एयर इंडिया पर कुल 38,366.39 करोड़ रुपए का कर्ज हैं। ऐसे में एयर इंडिया को बेचना ही एकमात्र विकल्प हैं। अगर एयर इंडिया नहीं बिक पाती हैं, तो उसे बंद करना पड़ेगा। एयर इंडिया को बेचने के बात पर कर्मचारियों को लेकर सवाल किया गया तो सरकार ने कहा कि एयर इंडिया के कर्मचारियों के हितों का पूरा ख्याल रखा जाएगा।