आज दशहरा का त्योहार हैं। हिंदू धर्म में दशहरा का विशेष महत्व माना जाता है, क्योंकि इस दिन प्रभु श्री राम ने रावण का वध करके लंका पर विजय प्राप्त की थी। इस तरह से बुराई पर अच्छाई की विजय का यह पर्व विजयदशमी भी कहलाता हैं। माना जाता है कि भगवान श्री राम ने भी मां दूर्गा की पूजा कर शक्ति का आह्वान किया था, इसके बाद ही दशमी के दिन प्रभु श्री राम ने रावण का वध किया। भगवान राम की रावण पर जीत के इस त्योहार को बुराई पर अच्छाई और अधर्म पर धर्म की विजय के रुप में देशभर में मनाया जाता है। चलिए आपको बताते हैं मुहूर्त, पूजा का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और कुछ उपाय
रावण-दहन का मुहूर्त
दोपहर 3 से शाम 6 बजे तक रावण-दहन का शुभ मुहूर्त है।
घर में पूजन मुहूर्त
प्रात: 6.00 बजे से 7.30 तक घर में पूजा कर सकते हैं ।
दशहरा की पूजा विधि
विजयादशमी के दिन शुभ मुहूर्त में शमी के पौधे के पास जाकर सरसों के तेल का दीपक जलाएं और शमी पूजन मंत्र पढ़ें। इसके बाद सभी दिशाओं में आप विजय की प्रार्थना करें। यदि आपके घर में अस्त्र शस्त्र की पूजा की जाती है तो एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर सभी शस्त्रों को उसके ऊपर रखें। फिर गंगाजल छिड़क कर पुष्प अर्पित करें। विजयदशमी के दिन भगवान राम, मां दुर्गा, मां सरस्वती, भगवान गणेश और हनुमान जी आराधना करें। इस दिन गाय के गोबर से दस गोले य कंडे बनाएं, इन कंडों में नवरात्रि के दिन बोये गए जौ को लगायें। इसके बाद धूप और दीप जलाकर पूजा करें।
दशरा के उपाय
पापों से मुक्ति के लिए दशहरा का दिन सबसे शुभ है. इस दिन मां काली के सामने बैठकर उनका ध्यान करें। मां काली के सामने तेल का दीपक जलाएं और उस तेल में 11 तिल के दाने डालें। इसके बाद मां काली से अपनी गलती के लिए क्षमायाचना करें। मान्यता है कि ऐसा करने से गलती की माफी भी मिलती है और मां काली की कृपा होती है।
इस दिन पूजा के बाद कोई भी पौधा घर लेकर आएं और उसकी नियमित तौर पर देखभाल करें। कहा जाता है कि उस पौधे के साथ अपने मन की तकलीफ या उलझन को शेयर करने से मन हल्का होता है. जैसे-जैसे पौधा बढ़ता है कि आपकी तकलीफ कम होती है और घर में सुख-समृद्धि आती है।
चिंता को दूर करने के लिए दशहरा के दिन शाम को आटे का चारमुखी दीपक बनाएं। इस दीपक को शमी के पौधे के नीचे रखकर जलाएं। एक बात का खास ध्यान रखें कि ऐसा करते वक्त कोई आपको टोके नहीं और न ही दीपक जलाते समय पीछे मुड़कर देखें।