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UP का एक ऐसा गांव जहां नहीं होता पुतला दहन बल्कि करते हैं रावण की पूजा

इस गांव में होती है रावण की पूजा

यूपी (UP) का एक ऐसा गांव जहां आज भी रावण के पूतले को जलाना लोग अभिशाप मानते हैं। यहां के लोगों का कहना है कि दशकों से यह परंपरा चली हा रही है। कहा कि इन्‍होंने कभी भी यहां रावण का पुतला दहन होते हुए नहीं देखा। इनकी यह परंपरा वर्षों से चली आ रही इस बार भी बरकरार रहेगी। इस बार भी गांव में रावण का पुतला दहन नहीं होगा। गांव के लोग रावण का पुतला दहन करना अभिशाप मानते हैं। यही नहीं य हां पर रामलीला का भी कभी आयोजन नहीं हुआ। ग्रामीणों ने इस बात को लेकर जो तर्क दिया वह भी चौकाने वाला था।

मंशा देवी मंदिर में पूजा कर होते हैं संकट दूर

आखिर रावण को बड़ागांव के लोग क्यों पूजते हैं, उसके पुतले को क्यों नहीं जलाते हैं।इसके पीछे एक कहानी जुड़ी हुई है। उस कहानी से पहले मंशा देवी मंदिर के बारे में जान लेते हैं। इस मंदिर के दर पर जिसने भी माथा टेका उसके संकट कट गए। उसकी हर इच्छा पूरी हो गई। क्योंकि आस्था की देवी मां मंशा देवी यहां खुद वास करती हैं।ग्रामीण बताते हैं कि मंशा देवी मां के बागपत (Bagpat) के इस बड़ागांव यानी रावण गांव में पहुंचने की कहानी यह है कि रावण ने सैकड़ो वर्षो आदि शक्ति की तपस्या की थी।

भगवान विष्णु ने छल से स्थापित कराई मां की मूर्ति

देवी प्रसन्न हुई और रावण से वरदान मांगने को कहा, रावण ने कहा कि मैं आपको लंका में ले जाकर स्थापित करना चाहता हूँ और देवी ने ये कहते हुए तथास्तु कर दिया की मेरे रूप में मेरी इस मूर्ति को तुम जहां रख दोगे ये वहीं स्थापित हो जाएगी और फिर इसे वहां से कोई नहीं हटा पाएगा। इस वरदान के बाद देव लोक में अफरा तफरी मच गई और देवता भगवान विष्णु के पास त्राहि-त्राहि करते हुए पहुँचे।

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भगवान विष्णु ने ग्वाले का वेशधर लिया और रावण को लघु शंका लगा दी। जंगल मे ग्वाले को देखकर रावण ने आदि शक्ति की मूर्ति ग्वाले को थमा दी और गवाले के रूप में भगवान विष्णु ने इस मूर्ति को जमीन पर रख दिया और जब रावण ने मूर्ति को उठाया तो वो वहां से नहीं हिली, और इस तरह बागपत के इसी बड़ागांव उर्फ रावण गांव में मां की मूर्ति स्थापित हो गई।

गांव के लोगों के लिए रावण हैं देवता

यहां माँ मनसा देवी के मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं का कहना है कि लोग आदि शक्ति के दर्शन करने दूर दूर जाते हैं, लेकिन लंकापति रावण की वजह से मां यहां विराजमान हुई और ये सब लंकेश की बदौलत हुआ है। माँ यहां साक्षात विराजमान है जो कोई भी सच्चे मन और श्रद्धा से सिर झुकाता है माँ उसकी हर इच्छा पूरी करती है और इसलिए यहां के लोगों का कहना है कि उनके मन मे रावण के लिए बड़ी आस्था थी वो मां को यहां लेकर आए।