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भारत का अनोखा गांव। जहां से हर घर से जरूर निकलता है एक IAS-IPS अफसर, जाने कहा है?

यूपी के जौनपुर गांव माधो पट्टी की कहानी

Madhopatti Village: कई युवा देश की सर्वोच्च परीक्षा सिविल सेवा परीक्षा (IAS) पास करने का सपना देखते हैं। ये परीक्षा संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) द्वारा आयोजित IAS परीक्षा दुनिया की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक है। हर साल करीब 10 लाख अभ्यर्थी 1 हजार से भी कम पदों के लिए अप्लाई करते हैं। इस परीक्षा को पास करने वाले कैंडिडेट बेहद काबिल और भाग्यशाली होते हैं। अगर किसी गांव में से एक IAS बन जाए तो पूरे गांव को उसके नाम से जाना जाता है। भारत के एक बड़े राज्य में एक ऐसा अनोखा गांव (Village) भी है जहां पर रहने वाले हर परिवार में से कोई न कोई या तो बड़ा अफसर जरूर मिल जाएगा। यही नहीं इस गांव में एक परिवार तो ऐसा भी है जहां पर एक दो नहीं बल्कि पूरे 5 आईएएस अधिकारी हैं। अब आपके मन में ये सवाल भी जरूर उठ रहा होगा कि ये जरूर बिहार का कोई गांव होगा लेकिन ऐसा नहीं है भारत में सबसे ज्यादा IAS और IPS देने वाला यह गांव उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले में मौजूद है। इस गांव का नाम माधोपट्टी है जिसे आईएएस और आईपीएस अफसरों की फैक्ट्री कहा जाता है।

त्यौहार के समय होता है खास नजारा

माधोपट्टी गांव में महज 75 परिवार रहते हैं जिसकी आबादी सिर्फ 800 लोगों की है और 47 लोग आईएएस आईपीएस हैं।यहां सबसे ज्यादा लोग सिविल सर्विसेज में जाते हैं और सफल भी होते हैं। खास बात आजादी के समय से पहले से इस गांव के लोग प्रशासनिक सेवा में कार्यरत रहे हैं और आज तक भी ठीक वैसी की वैसी परंपरा चली आ रही है। इस गांव में जब भी कोई त्योहार होता है तब देश भर में सेवा दे रहे माधोपट्टी गांव के अधिकारी परिवार के साथ त्यौहार मानाने के लिए शामिल होते हैं। ऐसे में दिवाली के समय यहां रंगबिरंगी लाइट के बजाये नीली बत्ती वाली गाड़िया दिखाई देती हैं।

एक परिवार में 5 आईएएस अधिकारी

माधोपट्टी गांव में एक परिवार ऐसा भी है जहां सबसे ज्यादा आईएएस अधिकारी हैं। पहली बार 1952 में इस गांव से डॉ. इंदुप्रकाश आईएएस बने और यूपीएससी में दूसरी रैंक हासिल करके गांव का नाम रोशन किया। 1995 में विनय सिंह ने परीक्षा को 13वीं रैंक मिली और बिहार के मुख्य सचिव बनकर गांव का मान बढ़ाया। इसके अलावा 1964 में छत्रसाल सिंह ने आईएएस परीक्षा पास और तमिलनाडु के मुख्य सचिव बने। साल 1964 में ही अजय सिंह और 1968 में शशिकांत सिंह ने आईएएस अधिकारी बनकर गांव की विरासत को आगे बढ़ाया। ये चारों यहां के सबसे पहले आईएएस अधिकारी डॉ. इंदुप्रकाश के भाई हैं। जबकि इस गांव को साल 1914 में माधोपट्टी गांव को पहला आईएएस अफसर मुस्तफा हुसैन मिला था। वह साल 1914 में डिप्टी कलेक्टर बने थे।

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इस दौरान हैरान करने वाली बात ये है कि यहां सिर्फ पुरुष ही नहीं, महिलाओं का चयन भी सिविल सर्विसेज में हुआ है वो भी बिना कोचिंग या ट्रेनिंग लिये। 1980 में आशा सिंह, 1982 में ऊषा सिंह और 1983 में इंदु सिंह ने अधिकारी बनकर इस गांव का रोशन किया। यही वजह है कि माधाेपट्टी गांव को आईएएस और आइपीएस की फैक्ट्री कहा जाता है।

माधोपट्टी गांव कहां है?

यूपी के जौनपुर जिले के अंतर्गत आने वाले माधोपट्टी गांव जिला मुख्यालय से सिर्फ 11 किलोमीटर दूर बसा है। इस छोटे से गांव में हर घर में 1-2 आईएएस आईपीएस ऑफिसर हैं और न सिर्फ प्रशसनिक अधिकारी बल्कि देश-विदेश की बड़ी संस्थाओं में पदस्त हैं।