अफगानिस्तान से अमेरिका पूरी तरह से बाहर हो गया है, लेकिन अब खबर है कि अमेरिका वापस से अफगानिस्तान में सैन्य ऑपरेशन जारी रखेगा। खबरों की माने तो अमेरिका पाकिस्तान के हवाई क्षेत्र का इस्तेमाल करेगा और यहीं से अफगानिस्तान में सैन्य ऑपरेशन जारी रखेगा। ये वही पाकिस्तान है जो पहले यह कह रहा था कि अपने धरती का किसी तीसरे का (अमेरिका) इस्तेमाल नहीं करने देगा। लेकिन अब ऐसा लग रहा है कि इमरान खान सरकार को समझ आ गया है कि सुपर पावर से पंगा लेना कितना भारी पड़ सकता है।
मीडिया में आ रही खबरों की माने तो इस मसले पर अमेरिका पाकिस्तान के साथ एक समझौता करने जा रहा है, जिसके तहत वो अफगानिस्तान में सैन्य ऑपरेशन जारी रखने के लिए पाकिस्तान के हवाई क्षेत्र का इस्तेमाल कर सकेगा। इस बात की जानकारी जो बाइडेन प्रशासन ने अमेरिकी सांसदों को दी है। एक रिपोर्ट के अनुसार, समझौते के औपचारिक हो जाने के बाद, अमेरिकी सेना अफगानिस्तान में ऑपरेशन के लिए पाकिस्तान के हवाई क्षेत्र का इस्तेमाल कर सकेगी।
रिपोर्ट की माने तो, पाकिस्तान चाहता है कि वह अपने खुद के आतंकवाद रोधी प्रयासों में सहायता के बदले ही एमओयू पर हस्ताक्षर करेगा। समझौते की शर्तों पर अभी पूरी तरह बात नहीं बनी है, इसे वक्त रहते बदला भी जा सकता है। इस मामले पर हाल ही में तब चर्चा हुई, जब अमेरिकी अधिकारी इस्लामाबाद दौरे पर आए थे। हालांकि, अभी तक यह साफ पता नहीं चल सका है कि पाकिस्तान क्या चाहता है या वाशिंगटन उसकी शर्तों को मानने के लिए तैयार है या नहीं। लेकिन इससे पहले पाकिस्तान प्रधानमंत्री और पाक नेता साफ कह चुके थे कि वो किसी तीसरे देश को हमने हवाई क्षेत्र का इस्तेमाल नहीं होने देंगे।
फिलहाल हवाई क्षेत्र का इस्तेमाल अमेरिका सैनिकों द्वारा अफगानिस्तान में चल रहे खुफिया अभियानों के लिए किया जाता है। वाशिंगटन को हवाई क्षेत्र के भीतर एक महत्वपूर्ण हवाई कॉरिडोर तक निरंतर पहुंच सुनिश्चित करने के लिए एक औपचारिक समझौते की जरूरत है, जो कि उसके सैनिकों के लिए अफगानिस्तान तक पहुंचने के लिए आवश्यक है।
15 अगस्त को काबुल में सत्ता हथियाने वाला तालिबान दूसरी बार देश पर राज कर रहा है। ऐसे में अब सवाल यह भी उठने लगा है कि, क्या अमेरिका फिर से तालिबानियों को अफगानिस्तान से खदेड़ेगा या फिर कोई और बात बनेगी, फिलहाल अभी इसपर कुछ भी कह पाना मुश्किल है।