गरीबी-भुखमरी और बेरोजगारी से जूझ रहे सूडान में सेना ने सरकार का तख्ता पलट कर दिया है। देश और सेना के सर्वोच्च कमाण्डर जनरल आब्देल फतह बुरहान ने आपातकाल लगा दिया है। देश की सोवरेन काउंसिल भंग कर दी गई है। सरकार के मंत्रियों और समर्थकों को गिरफ्तार कर लिया गया है। सूडान जैसी हालत पाकिस्तान की है।
पाकिस्तान में भी बेरोजगारी और बेकारी और भुखमरी है। पाकिस्तान के पीएम इमरान खान अपनी पत्नी की बेटी की शादी के लिए मदीना चले गए, देश त्राहि-त्राहि करता रहा। पाकिस्तान में भी किसी भी वक्त ऐसा ही हो सकता है। पाकिस्तान में तो सरकार का तख्ता पलट सूडान से पहले ही हो जाता, लेकिन पिंकी पीरनी ने रोक रखा है।
जी हां, बनिगाला के सूत्र बताते हैं कि पाकिस्तान के आर्मी चीफ कमर जावेद बाजवा पिंकी पीरनी के मुरीद हैं। बाजवा काफी लम्बे समय से पिंकी पीरनी का आशीर्वाद लेते रहे हैं। जनरल बाजवा को तीन साल के एक्सटेंशन के पीछे भी पिंकी पीरनी ही थीं। बीते कुछ महीनों से पीएम इमरान खान और आर्मी चीफ जनरल बाजवा में छत्तीस का आंकड़ा बना हुआ है।
बाजवा इमरान खान की सरकार को काफी पहले ही उखाड़ फेंक सकते थे, बल्कि बाजवा ने इमरान खान के तख्ता पलट का इंतजाम भी कर दिया था, मगर पिंकी पीरनी ने उन्हें ऐसा करने की इजाजत नहीं दी। दरअसल पिंकी पीरनी इमरान खान की तीसरी पत्नी हैं। पांच बच्चों की मां पिंकी पीरनी से इमरान खान की मुलाकात जनरल बाजवा ने ही करवाई थी। यह बात पाकिस्तान के 2018 में नेशनल असेंबली के इलेक्शन से पहले की है।
चुनावों से पहले इमरान और पिंकी पीरनी के बीच मुलाकातों का सिलसिला शुरू हुआ आगे चलकर इमरान पीएम बन गए और पिंकी पीरनी उनकी बेगम।
शुरुआती दौर में तो यह कहा गया कि पाकिस्तानी फौज ने इमरान खान के बेडरूम तक में सेंध लगा ली है। इसलिए अब इमरान खान वही करेंगे जो पाकिस्तानी आर्मी चीफ चाहेंगे। हुआ भी कुछ वैसा भी। जैसे-जैसे समय आगे बढ़ा वैसे-वैसे इमरान खान आर्मी चीफ बाजवा को खुड्डे लाइन लगाते रहे। भारत से संबंधों को सामान्य करने की बात हो या दोनों देशों के बीच व्यापार फिर से शुरू करने का मुद्दा या फिर बॉर्डर पर शांति स्थापना। आर्मी चीफ बाजवा पूर्व चलते तो इमरान खान पश्चिम की ओर दौड़ लगाने लगते। आपस में तलवारें खिंचने की नौबत डीजी आईएसआई की नियुक्ति को लेकर पैदा हुई है। जाहिर तौर पर 6 अक्टूबर से शुरू यह विवाद अभी तक जारी है। कई बार मार्शल लॉ लगाने की अफवाहें उड़ चुकी हैं।
फिल्हाल बात सूडान की, सूडान में सन् 2019में उमर अल-बशीर के सत्ता से बाहर होने के बाद सेना को सत्ता में भागीदार बनाए जाने की बात थी। तब से राजनेताओं और सैन्य अधिकारियों को मिलाकर बनाई गई संप्रभु परिषद ही देश पर शासन कर रही थी। यह प्रावधान नई सरकार के चुने जाने तक रहना था। लेकिन देश में वर्ग संघर्ष शुरू हो गया और सेना को हस्तक्षेपर करना पड़ा। अंतर्राष्ट्रीय समुदाय ने सूडान में तख्तापलट पर चिंता जताई है।
अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की ये प्रतिक्रिया हिंदी फिल्मों की स्क्रिप्ट की तरह है। जब कोई घटना-दुर्घटना हो जाती है तो फिल्म में कुछ लोग सहानुभूति दिखाने या चिंता जताने आ जाते हैं। अंतर्राष्ट्रीय समुदाय पाकिस्तान के मौजूदा हालातों पर गौर नहीं कर रहा है। पाकिस्तान में सिंध, बलूचों के साथ-साथ टीटीपी और टीएलपी अलग-अलग संघर्ष कर रहे हैं। पाकिस्तान में किसी भी समय संघर्ष शुरू हो सकता है। पाकिस्तान के एटमी हथियार किसी भी वक्त आतंकियों के कब्जे में जा सकते हैं। पाकिस्तान की सेना भी सूडान की तरह इमरान सरकार का तख्ता पलट कर सकती है।