हाल ही में पीएम मोदी ने तीनों कृषि कानून को वापस लेने का लान किया था। कयास लगाए गए कि इस ऐलान के पीछे की वजह पश्चिम यूपी में बीजेपी की पकड़ को मजबूत करना है। खासकर 60 से ज्यादा सीटों पर कब्जा करना है। इस बीच खबर सामने आई है कि केंद्र सरकार की तरफ से इलाहाबाद हाईकोर्ट की बेंच एक सौगात दे सकती है। कानून मंत्री किरन रिजिजू ने कुछ ऐसे ही संकेत दिए है। किरन रिजिजू ने बताया कि विधि मंत्रालय के पास न्यायमूर्ति जसवंत सिंह आयोग की रिपोर्ट के मौजूद है और केंद्र सरकार इस पर विचार कर रही है।
किरन रिजिजू ने भरोसा दिलाते हुए कहा कि अगर सबसही ररहा तो इलाहाबाद उच्च न्यायालय की आगरा खंडपीठ की स्थापना को जल्द मंजूरी मिल जाएगी। इसको लेकर केंद्रीय विधि राज्य मंत्री और स्थानीय सांसद एस. पी. सिंह बघेल से भी चर्चा हुई है। वहीं बघेल ने बताया कि आगरा उनका संसदीय क्षेत्र है। प्रदेश की भौगोलिक स्थिति को देखते हुए आगरा में उच्च न्यायालय की खंडपीठ की स्थापना किया जाना व्यावहारिक रूप से उचित है। यदि केंद्र सरकार की ओर से हाई कोर्ट की वेस्ट यूपी में बेंच को मंजूरी मिलती है तो इससे पूरे इलाके को साधने में मदद मिलेगी। दशकों से पश्चिम उत्तर प्रदेश में हाई कोर्ट की अलग बेंच की मांग उठती रही है।
बीजेपी किसान आंदोलन को लेकर थोड़ा घिरा महसूस कर रही है। ऐसे में केंद्र सरकार की ओर से इसे मंजूरी मिलने पर वह इस क्षेत्र में एक बार फिर से अपनी पकड़ मजबूत कर सकती है। यही नहीं पूर्वी उत्तर प्रदेश को पूर्वांचल एक्सप्रेस देकर साधने की कोशिश में जुटी बीजेपी के लिए पश्चिम में यह बड़ी राहत का सबब होगा। इस तरह सभी क्षेत्रों को अलग-अलग प्रोजेक्ट्स के जरिए बीजेपी साधने की कोशिश कर रही है। हाल ही में बुंदेलखंड का दौरा भी पीएम नरेंद्र मोदी ने किया था, जहां उन्होंने अर्जुन सहायक परियोजना की शुरुआत की थी। इस तरह से हर क्षेत्र के लिए बीजेपी सरकार की ओर से योजनाएं शुरू की गई हैं। ऐसे में अब हाई कोर्ट बेंच की मांग पूरा होना एक और अहम कदम होगा।