पंजाब में कांग्रेस पार्टी की अंदरूनी कलह लगातार बढ़ती जा रही है। विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे नजदिक आते जा रहा है वैसे-वैसे पार्टी में फूट बढ़ती जा रही है। पिछले साल कई महीनों तक चले संघर्ष के बाद कैप्टन अमरिंदर सिंह की जगह चरणजीत सिंह चन्नी को राज्य का नया मुख्यमंत्री बना दिया गया था। अब चरणजीत सिंह चन्नी की मुश्किलें बढ़ने वाली है। क्योंकि, कांग्रेस की कैंपेन कमेटी के चेयरमैन और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने चौंकाने वाला खुलासा करते हुए दावा किया है कि कैप्टन के जाने के बाद नए सीएम के चयन के लिए हुई बैठक में चन्नी को महज 2 विधायकों का समर्थन मिला था। जबकि उन्हें सबसे ज्यादा वोट मिले थे।
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सुनील जाखड़ ने कहा है कि, कैप्टन अमरिंदर सिंह को जब मुख्यमंत्री पद से हटाया गया था तब उन्हें मुख्यमंत्री पद के लिए 42 विधायकों का समर्थन हासिल हुआ था और चरणजीत सिंह चन्नी को केवल दो ही विधायकों का समर्थन मिला था उसके बाद भी उन्हें सीएम नहीं बनाया गया। सुनील जाखड़ ने कल मंगलवार को अबोहर में आयोजित एक जनसभा में कहा कि नए मुख्यमंत्री के चयन को लेकर हुई बैठक में 42 विधायकों ने उन्हें सीएम के रूप में वोट दिया था। जबकि नवजोत सिंग सिद्धू को महज 6 वोट मिले और चरणजीत सिंह चन्नी को 2 वोट हासिल हुए थे। हालांकि परनीत कौर को 12 वोट मिले जबकि सुखजिंदर रंधावा के पक्ष में 16 विधायकों का समर्थन हासिल था।
जनसभा को संबोधित करते हुए जाखड़ ने कहा कि, मुझे इस बात को कोई दुख नहीं है। जो होता है सही होता है। मुझे कोई दुख नहीं है। मुख्यमंत्री के लिए 40 नहीं बल्कि 42 विधायकों ने मेरे समर्थन में वोट किया था। सुनील जाखड़ को कुल 42 वोट मिले थे।
बता दें कि, सुनील जाखड़ को पंजाब की सियासत में कांग्रेस का बड़ा नेता माना जाता है। इसके साथ ही पंजबा की राजनीति में उनकी पहचान बड़े हिंदू चेहरे के रूप में भी है। वो कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री बलराम जाखड़ के बेटे हैं। पिछले साल पार्टी के अंदर चले लंबे घमासान के बाद कैप्टन अमरिंदर सिंह ने सीएम पद छोड़ दिया जिसके बाद सुनील जाखड़ मुख्यमंत्री पद की रेस में सबसे आगे बताए जा रहे थे। लेकिन सिद्धू के विरोध के चलते जाखड़ की जगह चरणजीत सिंह चन्नी को सीएम बनाया गया। अब चुनाव के दौरान इस तरह के खुलासा करना कांग्रेस पार्टी के लिए किसी बड़ी मुसिबत से कम नहीं है।