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यूक्रेन के दो प्रांतों पर कब्जे का ऐलान कर बुरे फंसे पुतिन! जानें रूस के खिलाफ क्या होगा अगला एक्शन?

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रूस ने यूक्रेन के दो प्रांतों पर 'कब्जे' का ऐलान तो कर दिया लेकिन इसके बाद उनके लिए ही मुश्किलें खड़ी हो रही हैं। रूस के ऐलान के बाद अमेरिका और अन्य कई पश्चिमी देश ऐक्शन में आ गए हैं। अमेरिका समेत कई देशों ने इस कदम की निंदा की। फ्रांस और जर्मनी भी इस बात पर सहमत है कि इसके खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए। रूस भले ही यूक्रेन के मुकाबले ज्यादा ताकतवर हो, लेकिन यूक्रेन की सेना संभावित हमले का मुंहतोड़ जवाब देने के लिए तैयार है। इसमें दोनों तरफ खून बहेगा।

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अगर मॉस्को कीव, खार्किव और ओडेसा जैसे प्रमुख शहरों पर बलपूर्वक कब्जा करने का प्रयास करता है, तो ये लड़ाई उसके लिए काफी महंगी साबित हो सकती है, क्योंकि घरेलू मैदान का एडवांटेज यूक्रेन को मिलेगा। हाल ही में एक सर्वेक्षण में रूस की युवा आबादी ने पड़ोसी पर हमले का विरोध किया था। अगर युद्ध होता है, तो व्लादिमीर पुतिन को घर में विरोध का सामना करना होगा। युद्ध क्षेत्र से ताबूत में वापस आने वाले सैनिकों के शव पुतिन के खिलाफ लोगों के गुस्से को भड़का सकते हैं, जो कुछ हद तक पहले ही उनसे नाराज चल रहे हैं।

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हाल ही में एक सर्वेक्षण में रूस की युवा आबादी ने पड़ोसी पर हमले का विरोध किया था। यदि युद्ध होता है, तो व्लादिमीर पुतिन को घर में विरोध का सामना करना होगा। युद्ध क्षेत्र से ताबूत में वापस आने वाले सैनिकों के शव पुतिन के खिलाफ लोगों के गुस्से को भड़का सकते हैं, जो कुछ हद तक पहले ही उनसे नाराज चल रहे हैं। अगर रूस आक्रमण करता है, तो उसे पश्चिमी देशों के प्रतिबंध का सभी सामना करना होगा। भले ही नाटो सदस्य इस पर एकमत न हों, क्योंकि रूसी गैस पर निर्भर जर्मनी और हंगरी, ब्रिटेन जितने तेजतर्रार नहीं हैं, फिर भी प्रतिबंध रूसी अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाएंगे। अमेरिका पहले से ही कड़े प्रतिबंध की चेतावनी दे चुका है।

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जब रूस ने 2014 में क्रीमिया पर आक्रमण करके उस पर कब्जा किया था, तो सालों तक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उसे अछूत की तरह देखा जाता था। ऐसे में यदि यूक्रेन पर हमला होता है, तो इस बार भी वही होगा। यहां तक कि रूस के रणनीतिक सहयोगी चीन ने भी अपना रुख स्पष्ट कर दिया है। उसके विदेश मंत्री वांग यी ने म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन में कहा था कि हर देश की संप्रभुता, स्वतंत्रता और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा की जानी चाहिए और यूक्रेन कोई अपवाद नहीं है. अमेरिकी सीनेटर क्रिस मर्फी का मानना है कि पुतिन गंभीर रूप से कमजोर स्थिति में हैं और यूक्रेन पर संभावित विनाशकारी आक्रमण उनका अंतिम उपाय होगा। उनके अनुसार, 2013 के बाद यूक्रेन के लोगों ने यह स्पष्ट कर दिया था कि वे किसी भी सूरत में रूस का हिस्सा नहीं बनना चाहते। लिहाजा यदि रूस युद्ध में पानी की तरह पैसा बहाकर जबरन उन्हें अपना बनाने का प्रयास करता है, तो  उसकी अर्थव्यवस्था प्रभावित होगी. इतना ही नहीं हो सकता है कि राष्ट्रपति की कुर्सी तक हिल जाए।