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यूक्रेन संकट ने डाला भारतीयों की जेब पर डाका, राशन से लेकर पेट्रोल-मोबाइल होगा सबकुछ महंगा

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रूस और यूक्रेन के बीच गतिरोध का असर अब भारतीयों के जेब पर पड़ने वाला है। बाजार सूत्रों ने कहा कि विदेशी संस्थागत निवेशकों की सतत निकासी, घरेलू शेयर बाजार में सुस्ती तथा कच्चे तेल की कीमतों में तेजी के कारण निवेशकों की कारोबारी धारणा प्रभावित हुई। अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया कारोबार के अंत में 29 पैसे की गिरावट के साथ 74.84 प्रति डॉलर पर बंद हुआ। इस बीच, डॉलर सूचकांक 0.04 प्रतिशत के नुकसान से 96.03 रह गया। वही इस यूक्रेन संकट से तेल एवं गैस आपूर्ति के प्रभावित होने की आशंका पैदा हुई है।

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आपूर्ति चिंताओं के कारण कच्चे तेल की कीमत लगभग सात वर्ष के उच्चतम स्तर को छू गई। जिससे रुपये की धारणा प्रभावित हुई। वैश्विक मानक ब्रेंट कच्चे तेल का दाम 3.56 प्रतिशत की तेजी के साथ 98.79 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया। इसके अलावा, रुपये की कमजोरी से सीधा असर आपकी जेब पर होगा। आवश्यक सामानों की कीमतों में तेजी के बीच रुपये की कमजोरी आपकी जेब को और छलनी करेगी। भारत अपनी जरुरत का 80 फीसदी कच्चा तेल विदेशों से खरीदता है। अमेरिकी डॉलर के महंगा होने से रुपया ज्यादा खर्च होगा। इससे माल ढुलाई महंगी होगी। इसका सीधा असर हर जरूरत की चीज की महंगाई पर होगा।

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रुपये की कमजोरी से आपकी जरूरत के मोबाइल फोन, एक्सेसरीज, लैपटॉप, टीवी भी महंगे हो जाएंगे। भारत में अधिकतर मोबाइल की असेंबलिंग होती है जिसके पुर्जे विदेशों से आते हैं। यही हाल आटो सेक्टर पर भी है। यह सेक्टर पहले ही चिप की किल्लत से जूझ रहा है। वहीं अब मैटल और पार्ट भी महंगे होंगे। इसका असर विदेश में पढ़ने वाले भारतीय छात्रों पर रुपये की कमजोरी का खासा असर पड़ेगा। रुपये के बदले कम डॉलर मिलेंगे। वहीं उन्हें चीजों के लिए अधिक कीमत चुकानी पड़ेगी। रुपये की कमजोरी से निर्यात क्षेत्र को राहत मिली है। खासतौर पर आईटी कंपनियों के लिए अच्छी खबर है। इससे उनकी कमाई में इजाफा होगा। इसी तरह एक्सपोटर्स को फायदा होगा, जबकि आयातकों को नुकसान होगा।