पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान देश की अर्थव्यवस्था को कंट्रोल करने के लिए न जाने क्या-क्या कर रहे हैं। कभी सऊदी अरब के धक्के खा रहे हैं तो कभी चीन के हांथ-पैर जोड़ रहे हैं। यहां भी जब दाल नहीं गली तो रूस के शरण में पहुंच गए। इमरान खान 24 फरवरी 2022 को रूस पहुंचे थे और उसी दिन रूस ने यूक्रेन पर हमला बोला था। जिसके बाद इरमान खान का बयान आया कि 'मैं यहां कितने सही समय पर आया हूं, यह देखने के लिए मैं उत्साहित हूं' उनके इस बयान के बाद उनके दुनिया भर में निंदा हुई। इस दौरान वो रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मिले। हालांकि, क्या बात हुई इसका अभी खुलासा नहीं हुआ है लेकिन माना जा रहा है कि वो यहां पर हथियारों के साथ ही कर्ज की भी मांग की होगी। खैर इस दौरे के बाद वो मुल्क वापस आ गए हैं और यहां उन्होंने एक मीटिंग बुलाई जिसमें वो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोद के राह पर चलने को कोशिश कर रहे हैं।
आगे बढ़ने से पहले बता दें, एक ओर जहां इमरान खान रूस के राष्ट्रपति से मिलकर आए हैं तो वहीं, उनका कहना है कि रूस-पश्चिम गतिरोध अपने साथ आर्थिक झटके लेकर आया है और इसका असर दिखने लगा है क्योंकि, कच्चे तेल की कीमतों में इजाफा हुआ है और इसकी कीमतें 100 डॉलर प्रति बैरल के निशान के ऊपर चली गई है। वहीं, वो अपने देश में गरीबी कम करने के लिए भारत वाले प्लान पर चलते हुए नजर आ रहे हैं। दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी में देश में गरीबों के लिए कई सारी योजनाएं लागू की हुई है जिसका वो फायदा उठा रहे हैं और कोविड-19 महामारी के दौरान भी इन गरीबों के खाते में डायरेक्ट पैसे पहुंचते रहे जिससे उनके दिनचर्या पर ज्यादा असर नहीं पड़ा।
पाकिस्तानी डॉन अखबार की माने तो, इमरान खान ने रूस से लौटने के बाद शुक्रवार को अर्थव्यवस्था की स्थिति को लेकर एक बैठक बुलाई जिसमें उन्होंने कहा कि, कीमतों में बढ़ोतरी के प्रभाव से गरीबों की रक्षा करना सरकार की प्राथमिकता है। इस दौरान उन्होंने कहा कि, महामारी से उत्तपन्न हुई संकट के बीच आम आदमी को राहत देना सरकार की प्राथमिकता है।
उन्होंने कहा कि वैश्विक मुद्रास्फीति के कारण विकासशील देशों को सबसे अधिक नुकसान हुआ है। इसके साथ ही बैठक में प्रधानमंत्री की रूस यात्रा और द्विपक्षीय संबंधों में प्रगति पर चर्चा हुई। इस बैठक में संघीय मंत्री शौकत तारिन, चौधरी फवाद हुसैन, असद उमर, मखदूम खुसरो बख्तियार, हम्माद अजहर और पीएम की विशेष सहायक सानिया निश्तार भी शामिल हुए। बैठक में कहा गया था कि रूस-पश्चिम गतिरोध अपने साथ आर्थिक झटके लेकर आया था क्योंकि इसने कच्चे तेल की कीमतों को 100 डॉलर प्रति बैरल के निशान से ऊपर चले गए हैं।
इसके साथ ही एहसास कार्यक्रम के तहत शरू की गई कई योजनाओं के साथ इसे लेकर क्या बाधाएं आ रही हैं इसपर उठाए जा रहे कमद को लेकर इमरान खान को बताया गया। वहीं, एक अन्य बैठक के दौरान इमरान खान ने कहा कि, औद्योगिक क्षेत्र का विकास सामाजिक-आर्थिक प्रगति के लिए महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा, "सरकार ने अनापत्ति प्रमाणपत्र (एनओसी) व्यवस्था के स्थान पर 'अनुपालन व्यवस्था' शुरू की है।" रोजगार सृजन और गरीबी उन्मूलन पर ध्यान देने के साथ औद्योगिक क्षेत्र से संबंधित मामलों पर लंबी बहस हुई। मप्रधानमंत्री ने संबंधित मंत्रालयों को निवेशकों के लिए व्यापार के अनुकूल माहौल सुनिश्चित करने का निर्देश दिया ताकि औद्योगीकरण को गति मिले। इमरान खान ने वित्त मंत्रालय, निवेश बोर्ड, फेडरल बोर्ड ऑफ रेवेन्यू, स्टेट बैंक और सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन को औद्योगिक विकास को बढ़ावा देने वाले माहौल में काम करने का निर्देश दिया। इस बैठक में पाकिस्तान के जाने-माने उद्योगपति मियां अंजुम निसार और मुहम्मद इरफान भी शामिल हुए।
इस दौरान इमरान खान ने यह भी खुलासा किया कि उनकी सरकार जल्द ही विकास को आगे बढ़ाने के लिए जिला स्तर पर एक कार्यक्रम शुरू करने जा रही है। इसके द्वारा रूकी हुई विकास को आगे बढ़ाने में भी मदद मिलेगा। पाकिस्तान में चल रही परियोजनाओं और स्वास्थ्य से संबंधित पहलों को प्रथामिकता के आधार पर लागू करने के आदेश दिया गया है।
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ऐसे में लगता है कि रूस ने पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए जरूर कोई न कोई वित्तिय सहायता देने के बात कही होगी। इस वक्त पाकिस्तान की परिस्थितीयों की ओर नजर डाले तो यहां पर महंगाई चरम पर है और जनता इमरान खान सरकार से परेशान है। साथ ही विपक्षी दल लगातार खान सरकार को गिराने की कोशिश कर रही हैं। इसके अलावा इमरान खान को आर्मी चीफ बाजवा के खिलाफ जाने पर भी आंतरिक विरोधों का सामना करना पड़ रहा है। जिसके बाद इमरान खान की सरकार पाकिस्तान में अब तब लगी हुई है। ऐसे में अपनी सरकार को बचान के लिए इमरान खान पूरजोर कोशिश कर रहे हैं।