रूस और यूक्रेन के जंग को रूकवाने के लिए इजरायल और अमेरिका जैसे देश तकरीबन हार मान ही चुके है। कारण है कि न तो पुतिन कोई बात मान रहे है और न ही जेलेंस्की झुक रहे है। जब बड़े देश हार मान चुके है, ऐसे में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने रूस और यूक्रेन के बीच तनाव को कम करने की दिशा में भूमिका निभाने की इच्छा जाहिर की है। इमरान खान की पेशकश ऐसे समय में आई है, जब हाल ही में उन्होंने यूरोपीय संघ (ईयू) और पश्चिमी गुट की यूक्रेन पर हमला करने के लिए इस्लामाबाद की ओर से रूस की निंदा करने की मांग करने पर आलोचना की थी।
इमरान खान ने ट्विटर पर कहा- 'आज मैंने यूक्रेन की स्थिति के बारे में यूरोपीय संघ परिषद के अध्यक्ष चार्ल्स मिशेल के साथ बात की है। निरंतर सैन्य संघर्ष पर साझा चिंता, विकासशील देशों पर इसके प्रतिकूल आर्थिक प्रभाव पर प्रकाश डाला, युद्धविराम और डी-एस्केलेशन की तत्काल आवश्यकता पर बल दिया। मैंने मानवीय राहत के महत्व पर जोर दिया और बातचीत और कूटनीति के माध्यम से समाधान के लिए अपनी बात दोहराई। हम इस बात पर सहमत हुए कि पाकिस्तान जैसे देश इस प्रयास में एक सुविधाजनक भूमिका निभा सकते हैं। मैं साझा उद्देश्यों को बढ़ावा देने के लिए करीबी जुड़ाव की आशा करता हूं।'
इमरान खान ने उन्हें याद दिलाया था कि अफगानिस्तान में युद्ध में प्रवेश करने और हजारों लोगों के बलिदान देने के बावजूद किसी ने भी पाकिस्तान का आभार तक नहीं जताया। इमरान खान ने यूरोपीय संघ, नाटो और अमेरिका को संबोधित करते हुए कड़े शब्दों और कठोर लहजे का इस्तेमाल करते हुए कहा कि पश्चिमी ब्लॉक में शामिल होना उस समय पाकिस्तान की सबसे बड़ी गलती थी। पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र में रूस के खिलाफ मतदान से परहेज किया था और कहा था कि देश शांति में भागीदार बनना चाहेगा। देश ने यह भी कायम रखा है कि वह संघर्ष में किसी का पक्ष नहीं बनेगा, एक ऐसा रुख जिसने पश्चिमी गुट को चौंका दिया है।