आज से होलाष्टक शुरू हो रहा है। होली से पहले इस साल होलाष्टक लगता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार होलाष्टक के दौरान शुभ कार्य करना वर्जित होता है क्योंकि होली जलने से पहले के 8 दिन पौराणिक मान्यताओं में अशुभ माने जाते हैं। हिन्दू पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से होलाष्ट होता है, जो फाल्गुन पूर्णिमा तक रहता है। जब फाल्गुन पूर्णिमा की रात को होलिका दहन होता है तो इसी के साथ होलाष्टक भी खत्म हो जाता है और फिर अगले दिन होली खेली जाती है।
होलाष्टक का समय
होलाष्टक प्रारंभ – फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि 10 मार्च 2022, प्रातः 2:56
होलाष्टक समाप्त – फाल्गुन माह की पूर्णिमा तिथि 17 मार्च 2022
होलाष्टक के दौरान भूलकर भी न करें ये काम
होलाष्टक के दौरान शेविंग, नामकरण, उपनयन, सगाई, विवाह आदि जैसे संस्कार बिल्कुल नहीं करना चाहिए।
होलाष्टक के दौरान गृह प्रवेश, नए घर की खरीदी, संपत्ति के सौदे और नए वाहनों की खरीदी से भी बचना चाहिए।
होलाष्टक के दौरान कोई नया काम या नया व्यापार शुरू करने से भी बचना चाहिए। किसी भी मांगलिक कार्य की शुरू होलाष्टक के बाद ही करें।
विष्णु भक्त प्रह्लाद से संबंधित कथा
फाल्गुन शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को ही हिरण्यकश्यप ने प्रह्लाद को बंदी बनाया था। इसके बाद पूर्णिमा तक भक्त प्रह्लाद को बहुत यातनाएं दी गईं। हालांकि विष्णु कृपा से भक्त प्रह्लाद जीवित बच गए लेकिन यातनाओं के उन आठ दिनों को तब से ही अशुभ माना जाने लगा।
भगवान शिव और कामदेव से संबंधित कथा
प्रेम के देवता कामदेव ने शिवजी की तपस्या भंग कर दी थी, जिससे क्रोधित होकर शिव ने उन्हें भस्म कर दिया। यह घटना फाल्गुन शुक्ल अष्टमी को घटी। तब कामदेव की पत्नी रति ने शिवजी से कामदेव को पुन: जीवित कर देने की प्रार्थना की। उन्होंने लगातार आठ दिनों तक शिवजी की प्रसन्नता के लिए कठिन तप किया। इसपर भगवान शिव ने रति की प्रार्थना स्वीकार करते हुए कामदेव को पुन: जीवित किया। प्रेम और भौतिक सुख के कारक कामदेव के भस्म रहने के कारण ये 8 दिन शादी—ब्याह और सभी प्रकार के मांगलिक कार्य के लिए अशुभ माने जाते हैं।