Hindi News

indianarrative

Holika Dahan: होलिका दहन के मौके पर आज करें ये अचूक उपाय, भगवान हनुमान की पूजा करना होगा शुभ, देखें मुहूर्त

Courtesy Google

होली की तैयारियां शुरु हो गई है। आज होलिका दहन है। होलिका दहन की पूजा के वक्त अग्नि में रोली, फूल, गुड़, हल्दी, बताशे, नारियल, गुलाल आदि को डाला जाता है। वहीं गोबर के उपले से पूजा की जाती है। इससे ना केवल घर में सुख समृद्धि आ सकती है बल्कि सभी इच्छाएं भी पूरी हो सकती हैं। होलिका दहन का शुभ मुहूर्त भद्राकाल के पुच्‍छ में रात 8:45 से रात 9:57 तक रहेगा। इस त्योहार को होली, लक्ष्मी जयंती, फाल्गुन पूर्णिमा, फाल्गुनी उत्तरा पर्व भी कहा जाता है। खास बात ये है कि इस बार होलिका दहन में तीन विशेष योग दग्ध, अमरत्व और गद योग बनने जा रहे हैं।

होलिका दहन के लिए कई जगहों पर अरंडी के पेड़ के नीचे प्रतिमाओं की भी स्‍थापना कर दी गई है। ज्योतिषाचार्यों की मानें तो होली की अग्नि में अपनी सभी शारीरिक, मानसिक व्याधि, किसी तरह की सफलता में रुकावट, आर्थिक कष्ट, बला और सभी बाधाओं का नाश करने के लिए एक सरल और प्रभावकारी उपाय है। जिसे कोई भी आसानी से कम खर्च करके अपनी सभी परेशानियों को होली की अग्नि में भस्म करके जीवन को सुगम बना सकता है। एक श्रीफल अपने और परिवार के सदस्यों के ऊपर भी 7 बार जरूर उतारें। अगर किसी मेंबर को ज्यादा परेशानी है तो उनके लिए अलग से श्रीफल उतारें।

 

होलिका दहन के दिन करें हनुमान जी की पूजा

होलिका दहन की रात्रि को हनुमान जी की पूजा करने से पहले स्नान आदि करके मंदिर या घर में आसन बिछाकर हनुमान जी के सामने बैठ जाएं।

अब पहले ही आप प्रसाद, फूलों की माला, चोला, चमेली का तेल, घी का दीया और हनुमान जी का सिंदूर आदि को अपने पास पहले से ही रखें और हनुमानजी को अर्पित करें।

घी का दीपक जला कर हनुमान चालीसा और बजरंग बाण का पाठ करें। उसके बाद हनुमान जी की आरती अवश्य गाएं। आरती के बिना पूजा अधूरी मानी जाती है।

धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, यदि हनुमान जी की पूजा के दौरान पीले और लाल पुष्प चढ़ाए जाएं तो आर्थिक तंगी से छुटकारा मिल सकता है और वे जल्दी प्रसन्न होते हैं।

 

होलिका दहन से संबंधित पौराणिक कथा

यह कथा भगवान विष्णु के नरसिंह अवतार और भक्त प्रहलाद की है। कहते हैं कि भक्त प्रहलाद विष्णु भगवान के अनंत भक्त थे। हर वक्त उनकी भक्ति में लीन रहना भक्त प्रहलाद को अच्छा लगता था। लेकिन यह बात हिरण्यकश्यप को बिल्कुल पसंद नहीं थी। भक्त प्रहलाद को खुद की पूजा करने के लिए कहते थे लेकिन जब हिरण्यकश्यप की बात भक्त प्रहलाद ने नहीं मानी तो हिरण्यकश्यप ने प्रहलाद को यातनाएं देनी शुरू कर दीं। कभी वह हाथी से कुचलवाने का प्रयास करते तो कभी खाई से गिरवाने की कोशिश करते लेकिन भक्त प्रहलाद विष्णु की कृपा से बच जाते। ऐसे में हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका को यह काम सौंपा। होलिका को वरदान था कि आग से वह कभी जल नहीं सकती इसीलिए वह फाल्गुन मास की पूर्णिमा के दिन भक्त प्रहलाद को अपनी गोद में लेकर अग्नि के बीच में बैठ गई लेकिन भगवान विष्णु की कृपा से इस बार भी भक्त प्रहलाद बच गए। तभी से होलिका दहन की प्रथा चली आ रही है। ऐसे में इस कथा को होलिका दहन की पूजा के वक्त जरूर पढ़ना चाहिए।