फाल्गुन मास की पूर्णिमा को होलिका दहन किया जाता है और इसके अगले दिन रंगों की होली खेली जाती है। होलिका दहन के दिन लोग होली पूजा करने के साथ ही एक-दूसरे को गुलाल-अबीर लगाकर होली की बधाई देते हैं। होलिका दहन के दिन ग्रह-नक्षत्रों से 3 राजयोग बना रहे हैं। इस दिन गजकेसरी योग, वरिष्ठ योग और केदार योग बन रहे हैं। ज्योतिषाचार्यों की माने तो होली पर ग्रहों का ऐसा शुभ महासंयोग पहले कभी नहीं बना है। इतने शुभ योग में होलिका दहन का होना देश के लिए बेहद लाभदायी साबित होगा।
होलिका दहन 2022 शुभ मुहूर्त-
होलिका दहन 17 मार्च को किया जाएगा। इसके अगले दिन रंगों की होली 18 मार्च को खेली जाएगी। होलिका दहन का मुहूर्त इस बार रात 9 बजकर 03 मिनट से रात 10 बजे 13 मिनट तक रहेगा। इस साल पूर्णिमा तिथि 17 मार्च को दिन में 1 बजकर 29 बजे शुरू होगी और पूर्णिमा तिथि का समापन 18 मार्च दिन में 12 बजकर 46 मिनट पर होगा।
इन मुहूर्त में न करें होलिका दहन-
राहुकाल- 02:00 पी एम से 03:30 पी एम।
यमगण्ड- 06:29 ए एम से 07:59 ए एम
आडल योग- 06:29 ए एम से 12:34 ए एम, मार्च 18
दुर्मुहूर्त- 10:29 ए एम से 11:17 ए एम
गुलिक काल- 09:29 ए एम से 10:59 ए एम
वर्ज्य- 08:25 ए एम से 10:02 ए एम
भद्रा- 01:29 पी एम से 01:12 ए एम, मार्च 18
बाण- अग्नि – 12:49 ए एम, मार्च 18 तक
होलिका दहन उपाय-
मान्यता है कि होलिकादहन करने या फिर उसके दर्शन मात्र से भी व्यक्ति को शनि-राहु-केतु के साथ नजर दोष से मुक्ति मिलती है।
माना जाता है कि होली की भस्म का टीका लगाने से नजर दोष तथा प्रेतबाधा से मुक्ति मिलती है।
धार्मिक मान्यता के अनुसार, किसी मनोकामना को पूरा करना चाहते हैं तो जलती होली में 3 गोमती चक्र हाथ में लेकर अपनी इच्छा को 21 बार मन में बोलकर तीनों गोमती चक्र को अग्नि में डालकर अग्नि को प्रणाम करके वापस आ जाएं।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार यदि कोई व्यक्ति घर में भस्म चांदी की डिब्बी में रखता है तो उसकी कई बाधाएं अपने आप ही दूर हो जाती हैं।
अपने कार्यों में आने वाली बाधा को दूर करने के लिए आटे का चौमुखा दीपक सरसों के तेल से भरकर उसमें कुछ दाने काले तिल,एक बताशा, सिन्दूर और एक तांबे का सिक्का डालकर उसे होली की अग्नि से जलाएं। अब इस दीपक को घर के पीड़ित व्यक्ति के सिर से उतारकर किसी सुनसान चौराहे पर रखकर बगैर पीछे मुड़े वापस आकर अपने हाथ-पैर धोकर घर में प्रवेश कर लें।