भारत और पाकिस्तान के बीच रिश्तों में जमी बर्फ पिघली है। जो लोग अटारी-वाघा बॉर्डर के जरिए पाकिस्तान जाना चाहते हैं वो अब सिर्फ वीजा के साथ ही पाकिस्तान की यात्रा कर सकते हैं। अब अटारी-वाघा बॉर्डर के रास्ते पाकिस्तान जाने के लिए भारत सरकार से स्पेशल परमिशन लेने की जरूरत नहीं होगी।
आम तौर पर लोग अटारी बॉर्डर और वाघा बॉर्डर के बीच अंतर नहीं कर पाते। वाघा पाकिस्तान की तरफ बसा गांव है, इसलिए पाकिस्तान इसे वाघा बॉर्डर कहता है। वहीं अटारी भारत की तरफ है, इसलिए भारत इसे अटारी बॉर्डर कहता है। कई बाद इसे अटारी-वाघा बॉर्डर भी लिखा जाता है। अटारी बॉर्डर से लाहौर की दूरी 29 किलोमीटर और अमृतसर की दूरी 27 किलोमीटर है। अटारी बॉर्डर पर बीटिंग रिट्रीट सैरेमनी की शुरुआत 1959 में हुई थी। इसका मकसद दोनों देशों के बीच आपसी सहयोग और सौहार्द्र का माहौल बनाना है।
यहां रोज शाम को सूर्यास्त से पहले औपचारिक रूप से सीमा को बंद किया जाता है और दोनों देशों के झंडे को सम्मानपूर्वक उतारा जाता है। इस दौरान दोनों देशों के दर्शक नारेबाजी भी करते हैं, जिससे देशभक्ति की भावनाओं का सैलाब उमड़ पड़ता है। दोनों देशों के सैनिक परेड निकालते हैं, जिसमें उनका जोश देखने काबिल होता है। देशभक्ति के गीत बजाए जाते हैं। कुछ सांस्कृतिक कार्यक्रम भी होते हैं। दोनों देशों के झंडों को सम्मानपूर्वक तरीके से उतारने के साथ ही समारोह का अंत होता है।