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हिजाब विवाद के फैसले पर जम्मू कश्मीर में मची खलबली, कर्नाटक HC पर जमकर भड़के महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला

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कर्नाटक हाई कोर्ट ने हिजाब मामले में दायर सभी याचिकाओं को खारिज करते हुए कहा कि हिजाब धर्म का अनिवार्य हिस्सा नहीं है। कर्नाटक हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस ऋतुराज अवस्थी, जस्टिस कृष्ण एस दीक्षित और जस्टिस जेएम काजी की बेंच उडुपी की मुस्लिम छात्राओं की याचिका पर सुनवाई के लिए गठित की गई थी। इन लड़कियों ने मांग की थी कि उन्हें कॉलेज में स्कूली यूनिफॉर्म के साथ-साथ हिजाब पहनने की अनुमति दी जाए क्योंकि ये उनकी धार्मिक आस्था का हिस्सा है। इस मामले में हाईकोर्ट ने 5 फरवरी के सरकारी आदेश को चुनौती देने वाली सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया है।

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कर्नाटक हाई कोर्ट ने कहा कि 5 फरवरी के सरकारी आदेश को अमान्य करने का कोई मामला नहीं बनता है। गौरतलब है कि 25 फरवरी को ही कर्नाटक हाई कोर्ट में सुनवाई पूरी हो गई थी और हाई कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। हिजाब विवाद को लेकर कर्नाटक हाई कोर्ट की सिंगल बेंच ने पहली सुनवाई 8 फरवरी 2022 को की थी। फिर 9 फरवरी 2022 को सिंगल बेंच ने मामले को बड़ी बेंच में भेजा। इसके बाद 10 फरवरी 2022 को 3 जजों की बेंच ने सुनवाई शुरू की और अगले आदेश तक छात्रों के धार्मिक पोशाक पर रोक लगा दी थी।

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कर्नाटक हाई कोर्ट के फैसले पर पीडीपी चीफ महबूबा मुफ्ती ने सवाल उठाए। महबूबा मुफ्ती ने कहा कि हिजाब सिर्फ धर्म के बारे में नहीं है बल्कि ये चुनने की स्वतंत्रता से जुड़ा मुद्दा है। महबूबा मुफ्ती ने ट्वीट किया- 'हिजाब बैन को बरकरार रखने का कर्नाटक हाई कोर्ट का फैसला बेहद निराशाजनक है। एक तरफ हम महिलाओं के सशक्तिकरण की बात करते हैं फिर भी हम उन्हें एक साधारण विकल्प के अधिकार से वंचित कर रहे हैं. ये सिर्फ धर्म के बारे में नहीं है बल्कि चुनने की स्वतंत्रता है।' वहीं जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने ट्वीट में लिखा- 'कर्नाटक हाई कोर्ट के फैसले से बेहद निराश हूं, चाहे आप हिजाब के बारे में कुछ भी सोचते हों, ये पहनने का कोई कपड़ा नहीं है बल्कि ये एक महिला के अधिकार के बारे में है कि वो कैसे कपड़े पहनना चाहती है? कोर्ट ने इस मूल अधिकार को बरकरार नहीं रखा, ये हास्यास्पद है।'