अफगानिस्तान में जब तालिबान ने कब्जा किया था तो इससे अगर सबसे ज्यादा कोई खुश था तो वो है पाकिस्तान। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान को जब जब मौका मिला तब-तब वो विश्व मंच पर तालिबान सरकार को मान्यता दिलाने के लिए चिल्लाए। लेकिन, आज आलम यह है कि इसी तालिबान के चक्कर में पाकिस्कान खून के आंसू रो रहा है। दोनों की दोस्ती दुश्मनी में बदल गई है। दोनों देशों के बीच सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। अफगानिस्तान तालिबान द्वारा तहरीक-ए-तालिबान पकिस्तान को समर्थन दिए जाने और डूरंड रेखा पर बढ़ते तनाव के कारण अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच दरारें बढ़ने लगी हैं।ॉ
एएनआई ने यूरोपियन टाइम्स के हवाले से बताया है कि हाल ही में संपन्न इस्लामिक देशों के संगठन (OIC) के बैठक में तालिबान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी का न जाना इस बात की पुष्टि करता है कि दोनों देशों के बीच संबंध सहज नहीं हैं। इस्लामाबाद में हुए OIC की बैठक में अफगान तालिबान ने मुत्ताकी के बदले विदेश मंत्रालय के एक अधिकारी को भेज दिया था। रिपोर्ट में कहा गया है कि, हाल के दिनों में चमन और स्पिन बोल्दक जिलों में बॉर्डर पर कई जगहों पर दोनों पक्षों के बीच तनाव लगातार बढ़ रहा है। तालिबान ने कथित तौर पर पाकिस्तान के खिलाफ कुनार प्रांत में अस्मार और नारी के इलाकों में अपनी तोप तैनात कर दिया है। तालिबान ब्रिटश कालीन डूरंड रेखा को अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच आधिकारिक सीमा के रूप में मान्यता नहीं देता है।
दोनों देशों के बीच खराब होते संबंध का एक कारण अफगान तालिबान द्वार टीटीप को समर्थन दिया जाना है। तालिबान के आने के बाद से पाकिस्तान में टीटीपी द्वारा हमलों में बढ़ोतरी हो गई है। मुल्क लगातार बम धमाकों से दहल रहा है। अभी दो दिन पहले ही खैबर पख्तूनवाला में TTP के साथ झड़पों में 2 पाकिस्तानी सैनिक मारे गए। इसके साथ ही कई और घटानों में टीटीपी का ही हाथ रहा है। ऐसे में तालिबान संग पाकिस्तान की दोस्ती अब दुश्मनी में बदल गई है।