चैत्र नवरात्रि का चौथा है। जिसमें चौथा दिन मां कूष्मांडा को समर्पित होता है। नवरात्रि उपासना में चौथे दिन इन्हीं के विग्रह का पूजन-आराधना की जाती है। इस दिन साधक का मन 'अनाहत' चक्र में स्थित होता है, इसलिए इस दिन उसे अत्यंत पवित्र मन से कूष्माण्डा देवी के स्वरुप को ध्यान में रखकर पूजा-उपासना के काम में लग्न रहना चाहिए। आठ भुजाओं वाली मां कूष्मांडा अपने भक्तों के सभी कष्टों और दुखों का नाश कर देती हैं। चैत्र नवरात्रि में पूजा के बाद मां कूष्मांडा की आरती करें। माना जाता है इससे प्रसन्न होकर मां आपकी सभी मनोकामनाओं की पूर्ति करेंगी।
कौन है मां कुष्मांडा?
माता को कुम्हड़े की बलि बहुत प्रिय है। मां कुष्माण्डा की आठ भुजाएं होने के कारण इन्हें अष्टभुजा वाली भी कहा जाता है। इनके सात हाथों में क्रमशः कमण्डल, धनुष, बाण, कमल, अमृत से भरा कलश, चक्र तथा गदा नजर आता है, जबकि आठवें हाथ में जप की माला रहती है। माता का वाहन सिंह है और इनका निवास स्थान सूर्यमंडल के भीतर माना जाता है। कहते हैं सूर्यलोक में निवास करने की क्षमता अगर किसी में है तो वह केवल मां कुष्माण्डा में ही है। साथ ही माना जाता है कि देवी कुष्माण्डासूर्य देव को दिशा और ऊर्जा प्रदान करती हैं। परिवार में खुशहाली के लिए, अच्छे स्वास्थ्य के लिये और यश, बल तथा आयु की वृद्धि के लिये आज के दिन मां कुष्माण्डा का ध्यान करके उनके इस मंत्र का जाप करना चाहिए-
नवरात्रि के चौथे दिन बन रहा ये शुभ योग
नवरात्रि के चौथे दिन यानी 5 अपप्रैल को सुबह 8 बजे तक प्रीति योग रहेगा। इसके बाद आयुष्मान योग शुरू होगा। शास्त्रों के अनुसार, प्रीति व आयुष्मान योग को शुभ योगों में गिना जाता है। इन योगों में किए गए कार्यों में सफलता प्राप्त होने की मान्यता है।
नवरात्रि के चौथे दिन के शुभ मुहूर्त-
ब्रह्म मुहूर्त- 04:35 ए एम से 05:21 ए एम
अभिजित मुहूर्त- 11:59 ए एम से 12:49 पी एम9
विजय मुहूर्त- 02:30 पी एम से 03:20 पी एम
गोधूलि मुहूर्त-06:29 पी एम से 06:53 पी एम
अमृत काल- 02:14 पी एम से 03:59 पी एम
सर्वार्थ सिद्धि योग- 06:07 ए एम से 04:52 पी एम
रवि योग- 06:07 ए एम से 04:52 पी एम
पूजा विधि
दुर्गा पूजा के चौथे दिन माता कुष्मांडा की पूजा सच्चे मन से करना चाहिए। फिर मन को अनहत चक्र में स्थापित करने हेतु मां का आशीर्वाद लेना चाहिए। सबसे पहले सभी कलश में विराजमान देवी- देवता की पूजा करें। फिर मां कुष्मांडा की पूजा करें। इसके बाद हाथों में फूल लेकर मां को प्रणाम कर इस मंत्र का ध्यान करें।
सुरासम्पूर्णकलशं रूधिराप्लुतमेव च. दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु।
फिर मां कुष्मांडा के इस मंत्र का जाप करें
या देवी सर्वभूतेषु मां कूष्माण्डा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
मां की पूजा के बाद महादेव और परमपिता ब्रह्मा जी की पूजा करनी चाहिए। इसके बाद मां लक्ष्मी और विष्णु भगवान की पूजा करें।
मां कूष्मांडा का भोग
मां कूष्मांडा को भोग में मालपुआ चढ़ाया जाता है। मान्यता है कि इस भोग को लगाने से मां कूष्मांडा प्रसन्न होती हैं और भक्तों पर अपना आशीर्वाद बनाए रखती हैं।