9 अप्रैल को इमरान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर भी वोटिंग होगी और संसद भी बहाल होगी। पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले ने इमरान खान, संसद के डिप्टी स्पीकर कासिम सूरी और राष्ट्रपति आरिफ अल्वी की मिलीजुली साजिश नाकाम कर दिया। इमरान चाहते थे कि संसद में उन्हें वोटिंग के दौरान हार का मुंह न देखना पड़े। इसलिए उन्होंने डिप्टी स्पीकर के जरिए अविश्वास प्रस्ताव ही खारिज करा दिया। बाद में राष्ट्रपति को सिफारिश भेजकर संसद भंग करा दी। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उनकी सारी मेहनत पर पानी फेर दिया। अब 9 अप्रैल को होने वाली वोटिंग से तय होगा कि सरकार किसकी बनेगी या केयर टेकर गवर्नमेंट बनाकर नए चुनाव ही होंगे?
लेकिन, यहां बिल्कुल तय ये है कि इमरान प्रधानमंत्री नहीं रहेंगे। आपको बता दें कि डिप्टी स्पीकर ने 3 अप्रैल को आर्टिकल 5 का हवाला देते हुए महज 7 मिनट की कार्यवाही के बाद अविश्वास प्रस्ताव खारिज कर दिया था। मुल्क में गुस्से को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया और तमाम पक्षों को बुलाया। 3 अप्रैल को शुरू हुई सुनवाई 7 अप्रैल तक चली। फैसले का अंदाजा अटॉर्नी जनरल की दलील से लगा। उन्होंने पांच जजों की बेंच से कहा- 'मैं अविश्वास प्रस्ताव खारिज किए जाने और संसद भंग के लिए जाने का बचाव नहीं कर सकता।'
सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा- 'कोई भी सरकार संविधान से ऊपर नहीं है। यह सरकार यही बात भूल गई थी। सरकार किसी की वतन परस्ती पर सवाल नहीं उठा सकती। आप किसी को मुल्क का गद्दार कैसे कह सकते हैं। आपने नेशनल सिक्योरिटी कमेटी (एनएससी) की मीटिंग को सीक्रेट बताया। हमें भी उसकी डीटेल्स नहीं दीं। ये बताएं कि इतनी बड़ी मीटिंग में फॉरेन मिनिस्टर और एनएसए शामिल क्यों नहीं हुए? वो तो इस्लामाबाद में ही मौजूद थे।' चीफ जस्टिस ने शहबाज शरीफ और बिलावल भुट्टो को भी बुलाया। बिलावल भुट्टो से कहा- 'सिर्फ आप हैं जो इन हालात में भी मुस्करा रहे हैं।' फैसला सुनाने से पहले चीफ जस्टिस ऑफ पाकिस्तान ने चीफ इलेक्शन कमिश्नर से बातचीत की थी।
इलेक्शन कमीशन ने कहा कि हम किसी भी वक्त चुनाव कराने के लिए तैयार। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया और संसद बहाल कर दी। 9 अप्रैल यानी शनिवार को सुबह 10 बजे अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग होगी। सुप्रीम कोर्ट के ऑर्डर के मुताबिक, किसी भी सूरत में रात 10 बजे तक वोटिंग का फैसला आ जाना चाहिए। इमरान की हार बस औपचारिकता है। बहुमत के लिए 172 वोट चाहिए। विपक्षी गठबंधन (पाकिस्तान डेमोक्रेटिक फ्रंट या PDM) के पास 200 से ज्यादा वोट हैं। इमरान के कई मंत्री और सांसद विपक्ष के साथ जा चुके हैं। सरकार गिरने के बाद दो विकल्प हैं। पहला- विपक्ष नई सरकार बनाने का दावा करे। दूसरा- केयर टेकर सरकार बनाई जाए और वो नए चुनाव होने तक मुल्क के रोजमर्रा से जुड़े प्रशासनिक काम करे।