पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान 'रूस यात्रा' को लेकर पछतावा कर रहे होंगे, क्योंकि इमरान की रूस यात्रा ऐसे समय पर थीं, जब रूस ने अमेरिका के कई चेतवानियों के बाद भी यूक्रेन पर हमला किया था। इसी यात्रा से गुस्साएं अमेरिका ने पर्दे के पीछे छिपकर उनकी सरकार गिरा दी। ऐसा हम नहीं बल्कि इमरान खान का आरोप है। इमरान खान का कहना है कि अमेरिका नहीं चाहता है कि पाकिस्तान स्वतंत्र विदेश नीति का पालन करे। इमरान खान खुद संकेत दे चुके हैं कि उनकी पार्टी के पास बहुमत नहीं है और कई साथी सांसद भी विपक्ष का दामन थाम चुके हैं।
राष्ट्र को संबोधित करते हुए इमरान खान ने कहा कि हमारे राजदूत की मुलाकात अमेरिका के एक शीर्ष अधिकारी से हुई थी। इस दौरान अमेरिकी अधिकारी ने कहा कि इमरान खान को रूस नहीं जाना चाहिए था। इमरान खान ने आरोप लगाया कि उन्हें पता चला है कि अमेरिका के डिप्लोमेट्स पाकिस्तानी राजनेताओं से मिल रहे हैं। चंद महीने पहले ही उन्होंने नेताओं को बुलाकर कहा था कि इमरान खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव आने वाला है। ऐसे में मेरा कौम से सवाल है कि हम किस तरह की सरकार चाहते हैं। अगर इमरान खान अविश्वास प्रस्ताव से बच जाते हैं तो पाकिस्तान को मुश्किलों का सामना करना होगा।
इमरान खान ने कहा कि मैंने अमेरिका के ड्रोन हमलों का विरोध किया। अफगानिस्तान में युद्ध की जगह बातचीत का समर्थन किया। इराक में हमले की खिलाफत की। पाकिस्तान में 400 ड्रोन हमले हुए, इसके खिलाफ मैंने ही धरने दिए थे और विरोध किया था। अमेरिका को पता है कि इमरान खान की कोई जायदाद विदेशों में नहीं है, कोई बैंक बैलेंस नहीं है। ऐसे में वे जानते हैं कि मुझे दबाया नहीं जा सकता है। इसलिए ही विदेशी ताकतें विपक्षी दलों के जरिए मुझे हटाने की कोशिश कर रही हैं। उन्होंने अमेरिका पर मानवाधिकारों के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए कहा था कि 4000 किलोमीटर की दूरी से एक आदमी रिमोट का बटन दबाता है और यहां लोग मारे जाते हैं।