इमरान खान और उसके गुर्गे पाकिस्तान में खानाजंगी फैलाने में जुटे हैं। जहां-जहां इमरान जलसे कर रहे हैं वहां उनके गुर्गे फवाद चौधरी, शेख रशीद और शाह महमूद चौधरी पाकिस्तानी अवाम को खानाजंगी के लिए उकसा रहे हैं। पाकिस्तान की खुफिया और सुरक्षा एजेंसियों को इमरान खान की साजिश का सारा प्लान मालूम है, मगर फिर भी कार्रवाई नहीं हो रही है। इसका एक कारण यह है कि पाकिस्तान पर अप्रत्यक्ष हुकूमत करने वाली आर्मी कई गुटों में बंटी हुई है। एक गुट आर्मी चीफ का है जो सामने से नहीं पीछे से पाकिस्तान की सियासत को कंट्रोल कर रहे हैं। मतलब यह कि पाकिस्तान में हो तो वही जो आर्मी चीफ चाहे लेकिन आर्मी का इन्वॉल्वमेंट शो न हो। बाजवा और उनके हिमायती कह रहे कि हम तो सरकार के अधीन हैं। कुर्सी पर जो बैठेगा हम उसको सैल्यूट करेंगे। मगर कुर्सी पर कौन बैठेगा वो इशारा हम ही करेंगे। जैसा पिछले दिनों में पाकिस्तान की नेशनल असेम्बली में हुआ।
पाकिस्तानी आर्मी का दूसरा गुट इमरान को सपोर्ट कर रहा है लेकिन उसके हाथ में अधिकार नहीं हैं। इस गुट ने आर्मी चीफ जनरल बाजवा की हत्या की कई कोशिशें भी कीं। इन कोशिशों में शामिल मेजर जनरल रैंक तक के अफसर शामिल थे। बाजवा ने चुपचाप सबकी ऐसी बैंड बजाई कि वो जेल की कोठरियों में मौत मांग रहे हैं और उन्हें मौत नसीब नहीं हो रही है, लेकिन मजाल है कि पाकिस्तानी मीडिया में एक लाइन की खबर भी कहीं चली हो। भला हो सोशल मीडिया का जिसने उन अफसरों और फौजियो के नाम जाहिर कर दिए जो जनरल बाजवा की हत्या की साजिश में शामिल थे। बाजवा अक्टूबर तक आर्मी चीफ हैं। ऐसी भी खबरें हैं कि रिटायर्ड फौजी अफसरों का बड़ा गुट इमरान खान को सपोर्ट कर रहा है। जनरल जफर हिलाली बागी चोला पहने रिटायर्ड और सर्विंग पाक आर्मी अफसरों का नेतृत्व कर रहा है।
इमरान खान ने पीपीपी के गढ़ कराची में शनिवार को करीब 5लाख से ज्यदा लोगों की भीड़ जुटाई। भीड़ जुटाने का जिम्मा आईएसआई के पूर्व डायरेक्टर फैज हमीद उठा रहे हैं। फैज हामिद का निजी नेटवर्क इमरान खान के साथ लगा है। इमरान खान और फैज हमीद को उम्मीद है कि बाजवा के रिटायरमेंट से पहले पाकिस्तान में खानाजंगी फैलाकर शहबाज शरीफ की सरकार को गिरा दिया जाएगा। इमरान खान को फिर से पीएम की कुर्सी पर बैठाया जाएगा और फैज हमीद अगले आर्मी चीफ बनेंगे। इमरान के करीबी साथी फवाद चौधरी ने कराची के जलसे में कहा पाकिस्तान धीरे-धीरे पूरी तरह से 'गृहयुद्ध' की ओर बढ़ रहा है। इमरान के समर्थकों से सड़कों पर निकलने और मुकाबला करने की अपील की। इमरान के समर्थक यानी फैज हमीद के टट्टू सड़कों पर छुट्टा सांड की तरह निकलेंगे तो मुकाबला किससे होगा- लाजिमी है पीपीपी, पीएमएल-एन और फजलुर्रहमान के समर्थकों से होगा। पुलिस-आर्मी-रेंजर अपने-अपने अफसरों के निजी निर्देश मानेंगे। मतलब यह कि पाकिस्तान में अराजकता आने वाली है। पाकिस्तान में अस्थिरता आने वाली है। पाकिस्तान में खूंरेजी और आगजनी का दौर आने वाला है।
पाकिस्तान में बवाल हो, इससे भारत पर क्या फर्क पड़ता है? फर्क पड़ता है जनाब, घरेलू हिंसा से दुनिया का ध्यान हटाने के लिए फौज का एक धड़ा एलओसी पर फर्जी फ्लेग ऑपरेशन को अंजाम दे सकता है। अनियंत्रित फौज-अस्थिर सरकार और अराजक देश में भारत किससे बात करेगा, यानी भारत को न चाहते हुए जंग में कूदना पड़ेगा, और फिर मुस्लिम उम्मा का बहाने भारत पर गड़बड़ी फैलाने का आरोप आयद किया जा सकेगा।
बहरहाल, पाकिस्तान में जो भी हो रहा है उससे भारत अछूता नहीं रह सकता। चाहे इमरान के साथी खानाजंगी और खूंरेजी के लिए अवाम को भड़काएं या फिर इमरान खान साथ देश में आम चुनाव कराए जाने की मांग का ढोल पीटें।। उन्होंने कहा कि अगर जनता 'मीरजाफर' का चुनाव करती है तो कोई बात नहीं लेकिन वे चुनाव नहीं कराएंगे। पंजाब विधान सभा में डिप्टी स्पीकर के साथ बहशियाना बर्ताव-मारपीट, सदन के भीतर एंटी रॉइट फोर्स की तैनाती के बावजूद बॉडीगार्ड्स से घिरे डिप्टी स्पीकर ने गैलरी में खड़े होकर माइक लगाकर सदन की कार्यवाही को भारी हंगामें के बीच अंजाम दिया। यह गृहयुद्ध के बाजे ही तो हैं। जब सदन के भीतर एंटी रॉइट पुलिस होगी तो सड़कों पर आर्मी-रेंजर्स के बूट!