कुछ समय पहले तक पाकिस्तान की सत्ता में आई राजनीतिक भूचाल लगभग थम गया है और शाहबाज शरीफ देश के नए प्रधानमंत्री बन सत्ता को अपनी हाथों में ले लिया है। लेकिन, पाकिस्तान सरकार की चुनौतियां इतनी जल्दी खत्म होने वाली नहीं हैं। खत्म तो क्या अब और भी ज्यादा बढ़ते जा रही हैं। मुल्क वैसे ही कंगाली की राह पर है। अर्थव्यवस्था चरमराई हुई है। देश में तेल से लेकर रासन तक के दामों में भारी वृद्धि आती आ रही है। इस बीच बाजवा की फौज के लिए भी चुनौतियां कम नहीं हैं। जिस आतंकियों को पाकिस्तान ने पनाह दिया अब वही उसके लिए सिरदर्द बनते जा रहे हैं।
दरअसल, तालिबान ने इस्लामिक स्टेट को दबाने और अफगानिस्तान में फैलने से रोकने के लिए हर संभव कोशिश की, जिसका नतीजा यह हुआ कि आईएस के लड़ाके पड़ोसी देश पाकिस्तान की ओर बढ़ने लगे। पिछले साल अगस्त में जब तालिबान अफगानिस्तान में सत्ता में लौटा, तो उसे अन्य चुनौतियों के अलावा, आतंकवादी समूह इस्लामिक स्टेट से निपटने में एक बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ा। तालिबान ने उसे दबाने और देश में फैलने से रोकने के लिए हर संभव कोशिश की, जिसका नतीजा यह हुआ कि आईएस के लड़ाके पड़ोसी देश पाकिस्तान की ओर बढ़ने लगे।
बशीर एक युवा तालिबान लड़ाका था, जब पूर्वी अफगानिस्तान के एक गांव पर लगभग आठ साल पहले इस्लामिक स्टेट ने कब्जा कर लिया था। वह मुश्किल से बीस वर्ष का था जब वह इस्लामिक स्टेट समूह के चंगुल में फंस गया। उसके गांव में आईएस के लड़ाके ऐसे किसी भी व्यक्ति को पकड़ लेते जो तालिबानी होता। और उसे मौत के घाट उतार देता। आईएस के लड़ाके तालिबान के सदस्यों का सिर कलम करते और यह सजा उनके परिवारों के सामने दी जाती थी। इतने खतरनाख जाल में फंसने के बाद भी बशीर किसी तरह भागने में कामयाब रहा। लेकिन, जैसे ही आईएस ने नंगरहार प्रांत के कई जिलों पर अपना नियंत्रण खोना शुरू किया तो बशीर का नाम उभरने लगा औऱ वह तालिबानी रैंकों में एक प्रमुख व्यक्ति बन गया। उसके बाद वह जल्द ही एक प्रमुख तालिबान नेता बन गया। जो इस वक्त अफगानिस्तान के लिए खुफिया प्रमुख है और आईएस के खिलाफ तालिबान के अभियान में एक प्रमुख व्यक्ति बन गया है।
नंगरहार की राजधानी जलालाबाद में समाचार एजेंसी एसोसिएटेड प्रेस के साथ हाल ही में एक साक्षात्कार में बशीर ने आईएस के क्रूर अत्याचारों और भयावह पलो को याद किया और बताया, मैं उनके अत्याचारों के बारे में बता नहीं सकता। आप उनके अत्याचारों की प्रकृति की कल्पना नहीं कर सकते पाकिस्तान में बढ़ता आतंकवाद पाकिस्तान का उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र आतंकवाद से सबसे ज्यादा प्रभावित है। पेशावर में एक शिया मुस्लिम मस्जिद पर 4 मार्च के आत्मघाती हमले के बाद हुए रक्तपात के निशान अभी भी दीवारों पर दर्ज हैं। कुल मिलाकर यह कहा जाने लगा है कि पाकिस्तान के लिए अब ये आतंकी संगठन अब सिर दर्द बनने लगा है।