आतंकवाद का नाम जब-जब लिया जाएगा तब-तब पाकिस्तान का भी नाम लिया जाएगा। क्योंकि, इसकी जड़ यहीं से है। पूरी दुनिया जानती है कि आज भी पाकिस्तान की सड़कों पर आसानी से आतंकी घुमते हुए मिल जाएंगे। ये वो पाकिस्तान है जिसने भारत के जम्मू-कश्मीर में जेहाद को जन्म दिया। ये वो पाकिस्तान है जिसने भारत में न जाने कितने आतंकी हमले किया। लेकिन, नए भारत ने छुप रहना नहीं बल्कि जवाब देना सिखा है। जम्मू-कश्मीर में तो सेना आतंकियों के लिए नासूर बनी हुई है। उन्हें खोज-खोज कर मार रही हैं। जिसके बाद पाकिस्तान की फौज और ISI में दहशत का माहौल है और किसी अन्य तरीके से अब देश में आतंक फैला रहे हैं।
अमेरिकी थिंकटैंक बाल्टीमोर पोस्ट एग्जामिनर की नई रिपोर्ट में यह दावा किया गया है कि, पाकिस्तान अब मदरसों के जरिए भारत में आतंकवाद को बढ़ावा दे रहा है। वहां करीब 40 हजार मदरसे हर साल बड़ी संख्या में आतंकी पैदा कर रहे हैं। यहां तक कि, पाकिस्तान की कश्मीर नीति अब भी सेना के ही नियंत्रण में है। यही वजह है कि, पाकिस्तान में कोई विशेषज्ञ आतंकवाद खत्म करने पर बात नहीं कर रहा। इसके साथ ही रिपोर्ट में पाकिस्तान के नए पीएम शाहबाज शरीफ के बयान को सेना को खुश करने के लिए दिए बयान को रटा हुआ बताया है। शरीफ ने कहा था कि, हम भारत से अच्छे रिश्ते चाहते हैं, लेकिन स्थायी शांति कश्मीर विवाद के समाधान के बिना संभव नहीं है।
रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान कृषि आधारित देश है, उसके पश्चिमी हिस्से की जरूरत का दो-तिहाई पानी कश्मीर की नदियों से आता है। उसने कानूनों का पालन करने के बजाय कश्मीर पर कब्जा करने की नीति अपनाई। कश्मीर पर पाकिस्तानी हमले के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में मामला रखा। उन्होंने पाकिस्तान को बंटवारे की प्रक्रिया नियमों के तहत पूरी करने और कब्जा किए क्षेत्रों से अपने सैनिक हटाने के लिए कहा। रिपोर्ट के अनुसार, सुरक्षा परिषद ने पाकिस्तान को गिलगित और अन्य हिस्सों से पीछे हटने को कहा। लेकिन, पाकिस्तान ने साफ मना कर दिया कि वो पीछे नहीं हटेगा। इसके बाद वर्ष 1956 के बाद से ही पाकिस्तान ने पीओके में धार्मिक व नस्ली संतुलन बिगाड़ना शुरू कर दिया।
इसमें पाकिस्तान का साथ देने वाला उसका सदाबहार दोस्त और भारत से खार खाने वाला चीन है। चीन चाहता था कि भारत कश्मीर मुद्दे में उलझा रहे और तिब्बत व शिनजियांग में उसकी अवैध व गैर-कानूनी गतिविधियों पर ध्यान न दे।