मुस्लिम धर्म को लेकर कई देशों में जानबूझकर कुछ मुद्दे जबरदस्ती उठा दिया जाता है ताकि वो चर्चा में रहे। दुनिया में मुस्लिमों की इतनी बड़ी आबादी होने के बावजूद भी कुछ कट्टरपथियों का कहना है कि इस्लाम के ऊपर खतरा मंडरा रहा है। खासकर पाकिस्तान तो लगातार इस तरह के मुद्दों के जरिए चर्चा में बना रहता है। क्योंकि, जब दुनिया तेजी से शिक्षा, टेक्नोलॉजी के साथ अन्य क्षेत्र में आगे बढ़ रही लेकिन, पाकिस्तान अब भी धर्म वाले घेरे में खोया हुआ है। पाकिस्तान में जनता की हालत बेहाल है लेकिन, इन सबके बजाय पाकिस्तान को भारत में मुस्लिमों पर खतरा मंडराता दिख रहा है। भारत में मुस्लिम अन्य देशों के मुकाबले ज्यादा खुशहाल हैं। लेकिन, पाकिस्तान को इसपर राजनीति करना जरूरी होता है। ऐसे ही सोच रखने वाले कट्टरपंथियों और इस्लामी देशों को एक इस्मालिक कंट्री ने करारा तमाचा जड़ा है। इस देश ने कहा है कि, नया देश बनाकर इस्लामिक एकता लाना असंभव, अपने देश और झंडे के प्रति वफादार रहें मुस्लिम।
दरअसल, यूएई की राजधानी अबू धाबी में आठ और नौ मई को वर्ल्ड मुस्लिम कम्युनिटीज काउंसिल की दो दिवसीय कॉन्फ्रेंस हुई। जिसमें यूएई, रूस, तुर्की, सीरिया, मिस्र और अजरबैजान समेत कई देशों के मुस्लिम धार्मिक नेताओं ने हिस्सा लिया। इसी कॉन्फ्रेंस में मिस्र के मंत्री ने जो भाषण दिया उसकी हर ओर चर्चा हो रही है। मिस्र के मंत्री डॉ. मोहम्मद मोख्तार गोमा ने इस्लामिक एकता को लेकर कहा, मुस्लिम समाज को दो तरीकों से एकजुट किया जा सकता है। पहला विवेकशील और तर्कसंगत तरीका है जिसकी मिसाल इस कॉन्फ्रेंस के जरिये दी जा रही है। दूसरा तरीका काल्पनिक और असंभव है जिसका इस्तेमाल चरमपंथी और आतंकवादी संगठन अपने फायदे के लिए कर रहे हैं। ये दुनियाभर के मुस्लिमों को एक राष्ट्र और एक झंडे के तहत लाने का प्रयास कर रहे हैं।
इसके आगे उन्होंने कहा कि, आधुनिक समय में किसी नवगठित देश के तहत इस्लामिक एकता लाने की असंभव कोशिश करने के बजाय अपने देश, झंडे और भूमि के प्रति ईमानदारी रखना ज्यादा जरूरी है। इसके आगे उन्होंने कहा कि, यह व्यर्थ का प्रयास राष्ट्र को कमजोर करता है और गैर मुस्लिम समुदायों में रह रहे मुस्लिम अल्पसंख्यकों को अलग-थलक करता है। वहीं, इसी कॉन्फ्रेंस में पहले दिन यूएई के सहिष्णुता मंत्री शेख नाहयान बिन मुबारक ने कहा कि, मुस्लिम समाज में एकता का आधार विज्ञान होना चाहिए। उन्होंने कहा कि, मैं कोई विशेषज्ञ नहीं हूं लेकिन इस्लाम, विज्ञान और ज्ञान का धर्म है इसलिए यह जरूरी है कि विज्ञान और रिसर्च मुस्लिम एकता की नींव बने।