वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर मामला कुछ दिनों से गरमाया हुआ है। दरअसल, कुछ कट्टरपंथी इसे राजनीतिक मुद्दा बनाना चाहते हैं ताकि हिंदु-मुस्लिम की एकता में फूट डाला जा सके। मस्जिद का सर्वे करने जब टीम पहुंची तो यहां कुछ अकलमंदों ने आवाज उठानी शुरू की और मामले को कोर्ट में पहुंचा दिया। जहां से कोर्ट ने भी झटका देते हुए साफ कहा कि, सर्वे जारी रहेगा और अगर ताला नहीं खोला जाता है तो इसे तोड़ दिया जाए। इसी मस्जिद के नीचे जो तहखाना है उसी में स्वयंभू आदिविशेश्वर स्थित हैं।
आगे बढ़ने से बदा दें कि, मस्जिद का सर्वे आज दूसरे दिन भी जारी है। अंदर तहखाने के बाद अब मस्जिद के ऊपरी ढांचे की वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी कराई जा रही है। इस दौरान परिसर में सुरक्षा के चाक-चौबंद व्यवस्था रही है। कमीशन की कार्यवाही दूसरे दिन रविवार सुबह 8 बजे शुरू हो गई। मस्जिद के ऊपरी ढांचे की वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी कराई जा रही है। डीएम के निर्देश पर अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी ने पहले से ताले खुलवा दिए थे। टीम ने एक-एक कर चारों कमरों का सर्वे किया। तहखाने में कोई खिड़की या प्रकाश की व्यवस्था नहीं थी। वहां प्रकाश की व्यवस्था मंदिर प्रशासन ने की थी। सर्वे के दौरान तहखाने में खम्भों, दरवाजों और दीवारों का माप किया गया। दीवारों की मोटाई के साथ मंडप की ऊंचाई नापी गई। खम्भों पर उभरी आकृतियों से जमा धूल हटाई गई।
तहखाने को लेकर इतना चर्चा क्यों
ज्ञानवापी मस्जिद के तहखाने के लेकर इस वक्त हर ओर चर्चा हो रहा है। हर किसी के जुबान पर यही बात है कि आखिर तहखाने के अंदर क्या है। दरअसल, माना जाता है कि, इसी तहखाने में स्वयंभू आदिविशेश्वर स्थित हैं। कहा जाता है कि, 11वीं सती में कुतुबुद्दीन एबक ने अष्टकोणीय मंदीर के शिखर को तोड़वा दिया था। उसके बाद 1885 में मुलग शासक अकबर ने अपने नवरत्नों में एक राजा टोडरमल को आदेश दिया। जिसके बाद टोडरमल ने अपने बेटे के जरिए मंदिर जीर्णोद्धार कराया और उसी दौरान गर्भगृह में तहखाना बना दिया गया था। तब से लेकर अब तक कहा जाता है कि, स्वयंभू आदिविशेश्वर तहखाने में रह रहे हैं।