आज वाराणसी जिला जज की अदालत में ज्ञानवापी मामले में सुनवाई हुई। ज्ञानवापी परिसर में मां श्रृंगार गौरी की दैनिक पूजा-अर्चना की इजाजत देने और अन्य देवी-देवताओं को संरक्षित करने को लेकर दायर वाद की सुनवाई के दौरान कचहरी परिसर और आसपास सुरक्षा की कड़ी व्यवस्था रही। दोनों पक्ष की दलीलें सुनने के बाद जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेस की आदालत ने फैसला कल तक के लिए सुरक्षित रख लिया है।
जिला जज की अदालत में काशी विश्वनाथ मंदिर के पूर्व महंत कुलपति तिवारी ने रूल एक नियम 10 के तहत पक्षकार बनने, ज्ञानवापी में मिले शिवलिंग के दर्शन- पूजन और राग भोग सेवा के लिए आवेदन दिया। वाराणसी जिला जज की अदालत में अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी ने नया आवेदन दिया है। जिसमें ज्ञानवापी प्रकरण को लेकर सीनियर डिवीजन की अदालत में हुए अब तक कई कार्यवाही पर सवाल उठाते हुए निस्तारण गुण-दोष के आधार पर करने की मांग की गई है। जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेस की अदालत ने जमानत की सभी याचिकाओं को दूसरी अदालत में ट्रांसफर कर दिया है। मामले की सुनवाई करते हुए फैसला कल तक के लिए सुरक्षित रख लिया है।
जिला कोर्ट में सुनवाई पूरी होने के बाद मीडिया को संबोधित करते हुए हिन्दू पक्ष के वकील विष्णु जैन ने कहा कि, सुनवाई पूरी हो चुकी है और फैसला सुरक्षित रख लिया गया है। सुनवाई की अगली तारीख दी जाएगी। हमने आयोग द्वारा दायर रिपोर्ट की सीडी और तस्वीरें मुहैया कराने के लिए याचिका दी है।
बता दें कि, बीते 18 अगस्त 2021 को नई दिल्ली की रहने वाली राखी सिंह एवं बनारस की चार महिलाओं लक्ष्मी देवी, रेखा पाठक, मंजू व्यास और सीता साहू ने ज्ञानवापी परिसर स्थित मां श्रृंगार गौरी की प्रतिदिन पूजा-अर्चना करने एवं परिसर स्थित अन्य देवी-देवताओं की विग्रहों को सुरक्षित रखने की मांग करते हुए सिविल जज (सीनियर डिवीजन) रवि कुमार दिवाकर की अदालत में वाद दायर किया था। वादी पक्ष की अपील पर सुनवाई करते हुए अदालत ने मौके की वस्तुस्थिति जानने के लिए वकील कमिश्नर नियुक्त करने का आदेश जारी किया था।