पाकिस्तान में इस वक्त महंगाई अपने चरम पर है। देश का विश्व कर्ज लगातार बढ़ता जा रहा है, जिसके चलते पाकिस्तानी रुपया तेजी से नीचे गिर रहा है। नई सरकार शाहबाज शरीफ के सामने इस वक्त की सबसे बड़ी चुनौती देश की गिरती अर्थव्यवस्था है। इसके साथ ही इमरान खान भी नई सरकार के लिए बड़ी चुनौती हैं। क्योंकि, इमरान खान लगातार नई सरकार के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं। खान लगातार सत्ता में वापसी के लिए जी जान से लगे हुए हैं। जिसके लिए वो पाकिस्तान के अलग-अलग प्रांतों में रैली कर रहे हैं और शाहबाज शरीफ सरकार को घेरने की कोशिश कर रहे हैं। इस दौरन वो नई सरकार पर आरोप भी लगा रहे हैं और अमेरिका का गुलाम भी। अब इमरान खान के नेतृत्व वाली विपक्षी पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ ने पिछले हफ्ते के प्रदर्शन के दौरान सरकार की ओर से हुई ज्यादतियों और मानवाधिकारों के उल्लंघन की स्वतंत्र एवं निष्पक्ष जांच के लिए बुधवार को संयुक्त राष्ट्र से मदद मांगी।
पीटीआई ने यह असामान्य कदम तब उठाया है जब इमरान खान इस्लामाबाद पहुंचते ही शहबाज सरकार को चुनाव की तारीखें घोषित करने के लिए छह दिनों का अल्टीमेटम देखकर लौट गए थे। वहीं पाक पीएम शहबाज शरीफ ने आरोप लगाया था कि इमरान खान पर देश में 'गृह युद्ध' शुरू करना चाहते हैं। खान के समर्थकों ने 25 मई को इस्लामाबाद में सरकार को जल्द चुनाव की घोषणा करने के लिए मजबूर करने के लिए हिंसक विरोध प्रदर्शन किया था।
बता दें कि, रैली में हिंसा को काबू करने के लिए पुलिस को आंसू गैस के गोलें और लाठीचार्ज करना पड़ा। पार्टी की वरिष्ठ नेता और खान की सरकार में मानवाधिकार मंत्री रहीं शिरीन मजारी ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त मिशेल बैश्लेट को लिखे एक पत्र में आरोप लगाया कि सरकार ने प्रदर्शनकारियों के खिलाफ बल प्रयोग किया। उन्होंने आरोप लगाया कि शहबाज सरकार ने पार्टी नेतृत्व के खिलाफ 'राजनीति से प्रेरित' मामले भी शुरू किए। इसके साथ ही उन्होंने सरकार की इन ज्यादतियों और मानवाधिकारों के उल्लंघन की स्वतंत्र एवं निष्पक्ष जांच की मांग की है। मजारी ने संयुक्त राष्ट्र अधिकारी से 'उठाए गए मुद्दों पर तत्काल ध्यान देने का अनुरोध किया है'।