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Imran Khan के PTI के बॉस बने रहने पर अब सवालिया निशान

पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान ख़ान

जियो न्यूज ने पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट के एक प्रतिष्ठित वकील ज़ुल्फ़िकार अहमद भुट्टा के  हवाले से ख़बर दी है कि पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान ख़ान तोशाख़ाना मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद अब पाकिस्तान तहरीक़-ए-इंसाफ़ (PTI ) प्रमुख का पद बरक़रार नहीं रख सकते हैं।

पीटीआई प्रमुख को तोशाखाना मामले में दोषी ठहराए जाने और गिरफ़्तार किए जाने के बाद यह बात सामने आयी है, क्योंकि इस्लामाबाद की एक ज़िला और सत्र अदालत ने उन्हें क़ानूनों का उल्लंघन करके सरकारी उपहार बेचने का दोषी पाया था।

ख़ान पर प्रधानमंत्री के रूप में अपने पद का दुरुपयोग करते हुए 140 मिलियन रुपये ($490,000) से अधिक मूल्य के सरकारी उपहार बेचने का आरोप है, जो उन्हें विदेश यात्राओं के दौरान विदेशी गणमान्य व्यक्तियों से मिले थे।

वरिष्ठ वकील ने कहा कि पिछले दिनों पीटीआई द्वारा दायर एक संवैधानिक याचिका पर सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के अनुसार, इस सज़ा ने पार्टी अध्यक्ष के रूप में ख़ान के भाग्य को सील कर दिया है।

जियो न्यूज़ ने वकील के हवाले से कहा,“अपनी भागीदारी के कारण वह अपने राजनीतिक दल के अध्यक्ष के रूप में अपना पद बरक़रार नहीं रख पायेंगे। पीएलडी 366/2018 (जुल्फिकार अहमद भुट्टा, पीटीआई, पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी, शेख़ रशीद अहमद, जमात-ए-इस्लामी मामला) आदि बनाम फ़ेडरेशन ऑफ़ पाकिस्तान में सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के आलोक में पीटीआई अध्यक्ष के रूप में इमरान ख़ान का दर्जा स्वतः समाप्त हो गया है।”

उन्होंने आगे कहा कि पनामा पेपर्स मामले में पूर्व पीएम नवाज़ शरीफ़ को दोषी ठहराये जाने के बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में संविधान के अनुच्छेद 184(3) के तहत याचिका दायर की थी।

जियो न्यूज़ के मुताबिक़ इस याचिका में कहा गया है कि जो व्यक्ति संवैधानिक अदालत द्वारा दोषी पाया गया हो और दोषी ठहराया गया हो, अगर वह किसी राजनीतिक दल का प्रमुख है, तो उसे पार्टी के प्रमुख होने के लिए भी अयोग्य ठहराया जाना चाहिए, अन्यथा दोषी ठहराए जाने के बावजूद वह पद पर बना रहेगा और राजनीति में भूमिका निभाने के लिए और वह अपनी पार्टी को नियंत्रित करता रहेगा।

उन्होंने कहा कि उम्मीदवारों को चुनाव टिकट उस दोषी क़रार दिये गये नेता के हस्ताक्षर से ही जारी किए जायेंगे और उनके द्वारा चुनाव आयोग को लिखे गये पत्र पर उनकी पार्टी के दलबदलू सदस्यों को भी अयोग्य ठहराया जा सकता है।

जियो न्यूज़ ने वकील के हवाले से कहा है, “मेरा आवेदन दायर होने के बाद, पीटीआई प्रमुख इमरान ख़ान और उनके दाहिने हाथ शेख़ रशीद, पीपीपी और जेआई आदि सहित 15 पार्टियों ने भी उसी अनुरोध के आधार पर संवैधानिक याचिकायें दायर कीं।”

बाद में मुख्य न्यायाधीश साक़िब निसार की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ और न्यायमूर्ति उमर अता बंदियाल और न्यायमूर्ति इजाज़-उल-अहसन ने सुप्रीम कोर्ट पीएलडी 366/2018 जुल्फिकार अहमद भुट्टा एट अल की सुनवाई के बाद एक निर्णय जारी किया कि दोषी पाए गए व्यक्ति किसी भी राजनीतिक दल का प्रमुख के पद पर नहीं बना रह सकता है। ।

वकील ने आगे कहा कि ख़ान और रशीद मामले को आगे बढ़ाने में रुचि के कारण व्यक्तिगत रूप से शीर्ष अदालत में आते थे।

जियो न्यूज़ की रिपोर्ट के अनुसार, पीटीआई के एक प्रवक्ता ने कहा कि पार्टी का नेतृत्व अब उपाध्यक्ष और पूर्व विदेश मंत्री शाह महमूद कुरेशी करेंगे।

स्थानीय मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान की एक ज़िला एवं सत्र अदालत ने शनिवार को तोशखाना मामले में अवैध रूप से सरकारी उपहार बेचने के लिए इमरान ख़ान को तीन साल की जेल की सज़ा सुनायी और पांच साल की अवधि के लिए राजनीति से अयोग्य घोषित कर दिया है।

डॉन के अनुसार,अतिरिक्त ज़िला और सत्र न्यायाधीश (एडीएसजे) हुमायूं दिलावर ने एक संक्षिप्त आदेश में कहा, “अदालत को यह आश्वस्त करने से कहीं अधिक लगता है कि शिकायतकर्ता (ईसीपी) ने आत्मविश्वास-प्रेरक, अच्छी तरह से बुना हुआ और पुष्ट सबूत प्रदान किया था, और इसलिए आरोपी के खिलाफ आरोप लगाया गया। यह सफलतापूर्वक साबित हो गया है कि आरोपी ने वर्ष 2018-2019 और 2019-2020 के दौरान तोशखाना से उपहार के माध्यम से अर्जित और निपटाई गई संपत्तियों के संबंध में झूठे बयान/घोषणा करके और प्रकाशित करके भ्रष्ट आचरण का अपराध किया है।

इस बीच, इमरान ख़ान की गिरफ़्तारी उनकी पहली गिरफ़्तारी के लगभग तीन महीने बाद 9 मई को हुई, जब उन्हें अल-कादिर ट्रस्ट मामले में इस्लामाबाद में गिरफ़्तार किया गया था।

9 मई को उनकी गिरफ़्तारीसे व्यापक हिंसा भड़क उठी और महत्वपूर्ण सैन्य प्रतिष्ठानों पर हमले हुए थे। मई में पीटीआई नेता और कार्यकर्ता उनकी गिरफ़्तारी के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन करने के लिए सड़कों पर उतरे।

सत्तारूढ़ पार्टी के सांसदों द्वारा दायर तोशखाना मामला ईसीपी द्वारा दायर एक आपराधिक शिकायत पर आधारित है। रिपोर्ट में कहा गया है कि मामले में आरोप लगाया गया है कि इमरान ख़ान ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान तोशखाना से अपने पास रखे गए उपहारों और उनकी कथित बिक्री से प्राप्त आय का विवरण “जानबूझकर छुपाया”।

तोशखाना नियमों के अनुसार, जिन व्यक्तियों पर ये नियम लागू होते हैं, उन्हें प्राप्त उपहार और अन्य सामग्री की सूचना कैबिनेट डिवीज़न को दी जायेगी। इमरान ख़ान को उपहारों को अपने पास रखने को लेकर कई क़ानूनी मुद्दों का सामना करना पड़ा है और इसके परिणामस्वरूप ईसीपी ने उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया है।