जब भी डॉक्टरों द्वारा कोई ब्रेन सर्जरी की जाती है तो इसे बेहद गंभीर ऑपरेशन माना जाता है। ऑपरेशन के समय में डॉक्टर्स मरीज को एनेस्थीसिया का इन्जेक्शन देते हैं। हाल ही में एक बेहद दिल्ली के एम्स हॉस्पिटल से एक चौंका देने वाला मामला सामने आया है। दरअसल हुआ कुछ यूं की एक शख्स अस्पताल के ऑपरेशन थियेटर में लेटा हुआ है और डॉक्टर्स उसकी सर्जरी कर रहे हैं। इस दौरान मरीज बेहोश नहीं है, बल्कि वह हनुमान चालीसा पढ़ रहा था।
मैं तो होश में ही ऑपरेशन थियेटर में गई थी और होश में ही बाहर आई। सर्जरी के दौरान होश में ही रही। डॉक्टर ने पूछा तुम्हें क्या याद है? मैंने बताया हनुमान चलीसा। डॉक्टर ने कहा कि सुनाओ, मैंने हनुमान चालीसा सुनाना शुरू कर दिया। वह मुझ से बात करते रहे और सर्जरी पूरी हो गई। सर्जरी के बाद बाहर आते ही मैंने अपने परिवार के सभी लोगों को देखा और उन्हें पहचान लिया। मैं खुद हैरान थी कि होश में ही मेरी सर्जरी हो गई। यह कहना है युक्ति अग्रवाल का, जिनकी हाल ही में होश में रहते हुए सर्जरी की गई थी।
एम्स के न्यूरोसर्जन डॉक्टर दीपक गुप्ता ने बताया कि इसे अवेक क्रेनियोटोमी कहा जाता है। जब किसी को ब्रेन के मोटार एरिया में ट्यूमर होता है, यह एरिया स्पीच को प्रभावित करता है। सर्जरी के दौरान अगर मरीज बातचीत करते रहता है तो पता चलता रहता है कि ट्यूमर निकालने का असर कहीं स्पीच एरिया पर तो नहीं हो रहा है। अगर मरीज बात करना बंद कर देता है तो हम समझ जाते हैं कि कोई दिक्कत हो रही है। सर्जरी उसी समय बंद करके पहले जांच करते हैं और उसके बाद सर्जरी आगे बढ़ाते हैं। इससे सर्जरी की सफलता बेहतर होती है।
एम्स के एक न्यूरो एनेस्थीसिया एक्सपर्ट ने कहा कि ओटी में आने के बाद सबसे पहले मरीज को हल्की नींद की दवा दी जाती है। मरीज को पूरी तरह बेहोश नहीं किया जाता है। इसके बाद सिर की नसों, दोनों तरह 6-6नर्व होती हैं। कुल 12जगहों पर स्कल्प ब्लॉक में इंजेक्शन देते हैं। इससे बाहर की स्किन सुन्न हो जाती है। इसके बाद ब्रेन खोलते हैं। डॉक्टर ने कहा कि जब ब्रेन खुल जाता है और हम ट्यूमर के पास पहुंच जाते हैं, तब बेहोशी की दवा बंद कर दी जाती है। तब मरीज में होश में आ जाता है। चूंकि ब्रेन सेंसिटिव नहीं होता है यानी ब्रेन को दर्द नहीं होता है। इसलिए ऑपरेशन के दौरान मरीज को होश में रखते हुए सर्जरी की जाती है।