डायनासोर की दुनिया में बुलडॉग के चेहरे वाले जीव के रूप में एक नई एंट्री हुई है। यह लगभग 98करोड़ साल पहले सहारा रेगिस्तान में घूमता था। विचित्र दिखने वाले इस डायनासोर के हाथ छोटे थे और यह स्कूल बस जितना बड़ा था। वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि यह मिस्र में पाया गया है। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार मिस्र के पश्चिमी रेगिस्तान में बहरिया ओएसिस में अभी तक नामित डायनासोर प्रजातियों की एक कशेरुका हड्डी का पता लगाया गया था।
अफ्रीकी देश मिस्र में वैज्ञानिकों को कुत्ते की तरह से मुंह वाले अजीब डायनासोर का अवशेष मिला है। यह आकार में स्कूल बस की तरह से था लेकिन इसके हाथ बहुत छोटे होते थे। करीब 9करोड़ 80लाख साल पहले यह डायनासोर सहारा रेगिस्तान पर राज करता था। इस डायनासोर की हड्डियां वैज्ञानिकों को मिस्र के पश्चिमी रेगिस्तान में बहारिया ओसिस इलाके में मिली हैं। वैज्ञानिकों ने अभी तक इस प्रजाति का नाम नहीं दिया है।
शोधकर्ताओं ने कहा कि यह प्राचीन जीव दो पैरों वाला था। इसका मतलब यह हुआ कि वह अपने दोनों पैरों से चलता था। उसके छोटे-छोटे दांत और गठीले हाथ होते थे। यह डायनासोर मांस खाता था और जब यह धरती पर रहता था, वह 20फुट लंबा होता था। ये डायनासोर सहारा के रेगिस्तान में पाए जाते थे। यह प्रजाति छिपकली की तरह से दिखने वाले Abelisaurid डायनासोर परिवार से ताल्लुक रखती थी। Abelisaurid डायनासोर क्रिटेशस पीरियड (14करोड़ 50लाख साल से लेकर 6.6करोड़ साल) में पाए जाते थे।
बहारिया ओसिस धरती के सबसे खतरनाक जगहों में से एक
यह धरती पर डायनासोर का अंतिम समय था। Abelisaurid प्रजाति के डायनासोर के जीवाश्म इससे पहले आज के यूरोप और दक्षिणी गोलार्द्ध के कई इलाकों में पाए जा चुके हैं लेकिन जिस तरह से ये बहारिया में मिले हैं, वह पहली बार है। इस नए अध्ययन को बेलाल सालेम के नेतृत्व में मानसोउरा यूनिवर्सिटी मिस्र ने अंजाम दिया है। बेलाल अभी अमेरिका के ओहियो यूनिवर्सिटी में ग्रेजुएशन के छात्र हैं। साथ ही बेन्हा यूनिवर्सिटी में पढ़ाते हैं।
सालेम ने कहा कि क्रिटेशस काल के मध्य में बहारिया ओसिस धरती के सबसे खतरनाक जगहों में से एक था। उन्होंने कहा कि उस समय ये भी विशालकाय जीव कैसे एक-दूसरे के साथ रहते थे, यह अपने आप में रहस्य है। हालांकि यह संभवत: इसलिए है क्योंकि वे एक-दूसरे से अलग चीजें खाते थे। साथ ही अलग-अलग जीवों का शिकार करते थे। यह डायनासोर की इस प्रजाति का पूर्वोत्तर अफ्रीका में सबसे पुराना जीवाश्म है।