जम्मू-कश्मीर और लद्दाख घूमने वालों के लिए अच्छी खबर हैं। केंद्र सरकार ने पर्यटकों को बढ़ावा देने के लिए यहां पर एक नई पहल की शुरुआत की है। सरकार के इस नई पहल का लाभ जितने भी पर्यटक जम्मू-कश्मीर और लद्दाख घूमने जाएंगे वो उठा सकेंगे। रक्षा मंत्रालय की ओर से देशभर में ऐसे 75 स्थानों पर बीआरो कैफे (BRO Cafe) स्थापित करने को मंजूरी दी है। इसके साथ ही केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में 26 बीआरओ कैफे खोले जाएंगे।
रक्षा मंत्रालय द्वारा जारी एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि, रक्षा मंत्रालय ने सीमा सड़क संगठन (BRO) के साथ 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 75 स्थानों पर 'वेसाइड एमेनिटीज' की स्थापना को मंजूरी दी है। इनका उद्देश्य पर्यटकों को बुनियादी सुविधाएं देना रहेगा। इससे स्थानीय लोगों के लिए रोजगार मिल सकेगा। साथ ही सीमावर्ती क्षेत्रों में आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा। देशभर में 75 जगहों पर सड़क किनारे बनने वाले वेसाइड एमेनिटीज को 'बीआरओ कैफे' के रूप में ब्रांडेड किया जाएगा, जहां पर्यटकों को बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध होंगी। इन वेसाइड एमेनिटीज को लाइसेंस के आधार पर एजेंसियों के साथ सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी) मोड में विकसित और संचालित किया जाएगा। इन्हें BRO के दिशानिर्देशों के अनुसार डिजाइन, निर्माण और संचालन किया जाएगा।
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पर्यटकों को मिलेंगी ये सुविधाएं
सरकार द्वारा शुरू किए गए इस पहले के चलते अब पर्यटकों को काई सारी सुविधाएं मिलेंगे। BRO कैफे में पर्यटकों को दो व चार पहिया वाहनों के लिए पार्किंग, फूड प्लाजा/रेस्तरां, पुरुषों, महिलाओं और विकलांगों के लिए अलग टॉयलेट, प्राथमिक चिकित्सा सुविधा, एमाआई रूम आदि जैसी अन्य सुविधाएं मिलेंगी। इसके लिए लाइसेंस धारियों का चयन प्रतिस्पर्थी प्रक्रिया के माध्यम से किया जाएगा।
जम्मू-कश्मीर- इन जगहों पर खुल सकते हैं BRO Cafe
जम्मू-कश्मीर में बारह सड़क खंडों को चुना गया है जिसमें- टीपी, त्रगबल, हुसैनगांव, केएम 95, केएम 117.90, केएम 58, गल्हर, सियोट, बथुनी, बुधल, कपोथा और सुरनकोट शामिल हैं।
लद्दाख में यहां खोले जाएंगे
लद्दाख में चौदह खंड चुने गए हैं। जिसमें- मटियान, कारगिल, मुलबेक, खलत्से, लेह, हुंदर, चोगलमसर, रुम्त्से, डेब्रिंग, पांग, सरचू, अघम, न्योमा और हनले शामिल हैं।
इसके साथ ही अधिकारियों की ओर से कहा गया है कि, सुदूरवर्ती सीमावर्ती क्षेत्रों में BRO की पहुंच है। सामरिक जरूरतों को पूरा करने के अलावा बीआरओ उथ्तरी और पूर्वी सीमाओं के सामाजिक-आर्थिक उत्थान में सहायक रहा है। जिसके चलते इन स्थानों में पर्यटकों की आमद बढ़ी है। कठोर जलवायु और भौगोलिक परिस्थितियों वाले स्थानों में बीआरओ ने अपनी उपस्थिति के आधार पर पर्यटकों को ऐसी सुविधाएं उपलब्ध करवाने का निर्णय लिया।